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बादल फटने का अद्भुत दृश्य कैमरे में कैद

Cloudburst पहाड़ों के बीच झील में बादल फटने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। प्रकृति का यह अद्भुत नजारा देखकर हर कोई हैरान रह जाता है। लोग वीडियो बनाने वाले शख्स की तारीफ भी कर रहे हैं। लोग इस नज़ारे को शानदार घटना बता रहे हैं।

बादल फटने का अद्भुत दृश्य कैमरे में कैद

वीडियो में पहाड़ों के बीच में एक झील दिखाई दे रही है जिसके ऊपर बादल मंडरा रहे हैं। बादल धीरे-धीरे चलता है और बादलों के बीच से पानी बरसने लगता है। पहाड़ों को पार करने के बाद जब बादल झील के पास पहुंचता है तो बादल टूट जाता है और अचानक बीच से भारी मात्रा में पानी गिरने लगता है।

वीडियो को मौसम विज्ञान और परिदृश्य का एक आदर्श संयोजन कहा जा रहा है। एक यूजर ने लिखा- ये देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए। दूसरे ने लिखा- अद्भुत, तीसरे यूजर ने कमेंट सेक्शन में लिखा- वाह। कई लोगों ने कुदरत के इस करिश्मे पर हैरानी जताई। लोग इस नजारे को कैद करने वाले शख्स की तारीफ भी करते नजर आ रहे हैं।

ये वीडियो साउथ ऑस्ट्रिया का है। इस वीडियो को पीटर मायर ने शूट किया था। वीडियो में लेक मिलस्टेट नाम की झील पर पानी गिर रहा है। ये वीडियो साल 2018 का है। जिसे पीटर ने अपने यूट्यूब चैनल पर भी शेयर किया है। इस वीडियो को 2 करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है।

वीडियो पर एक शख्स ने लिखा, 'कल्पना कीजिए अगर जंगल की आग इसी तरह धुंधली होती तो यह दृश्य कितना खूबसूरत होता।' एक अन्य ने ईश्वर की अद्भुत रचना लिखी। तीसरे ने लिखा- एक ही समय में खूबसूरत और खतरनाक दृश्य।


यदि किसी पहाड़ी इलाके में एक घंटे में 10 सेमी से अधिक बारिश होती है तो इसे बादल फटना कहा जाता है। बड़ी मात्रा में पानी का फैलाव न केवल संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है बल्कि मानव जीवन को भी नुकसान पहुंचाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के निदेशक मृत्युंजय महापात्र का कहना है कि बादल फटना बहुत छोटे पैमाने की घटना है और ज्यादातर हिमालय या पश्चिमी घाट के पहाड़ी क्षेत्रों में होती है। महापात्र के अनुसार, जब गर्म मानसूनी हवा ठंडी हवा से मिलती है, तो बड़े बादल बनते हैं। ऐसा स्थलाकृति या भौगोलिक कारकों के कारण भी होता है।

आम तौर पर, बादल फटने से मूसलाधार बारिश की तुलना में अधिक तीव्र बारिश होती है। इस बीच इस इलाके में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है। आमतौर पर बादल फटने की घटना धरती से करीब 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती है और इस दौरान करीब 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश होती है। बारिश इतनी तेज़ होती है कि प्रभावित इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं।

(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)

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