जैन समाज के लिए 18 फरवरी अवसाद का पर्याय हो गया है। समाज के वर्धमान कहे जाने वाले संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने समाधि ले ली है। तीन दिन के उपवास के बाद उन्होंने अपना देह त्याग दिया। देह त्यागने से पहले उन्होंने अखंड मौन धारण कर लिया था। आज दोपहर 1:00 बजे उनका अंतिम संस्कार हुआ। आचार्य विद्यासागर जी ने 6 फरवरी को योग सागर जी से चर्चा की और फिर आचार्य पद को त्याग दिया था। उन्होंने मुनि श्री समय सागर जी महाराज को आचार्य पद देने की घोषणा कर दी थी। महावीर जी ने पिछले साल 5 नवंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आशीर्वाद दिया था।
इस पल को अपने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए पीएम ने लिखा था कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी का आशीर्वाद लेकर धन्य महसूस कर रहा हूं।
(यह पोस्ट १८ फरवरी का है इस पोस्ट में आज यानि १८ फरवरी ही समजना)
जैन संत विद्यासागर महाराज के बारे में
जैन संत विद्यासागर महाराज का जन्म देश की कर्नाटक के बेलगांव में हुआ था। तारीख 10 अक्टूबर 1946 की थी और दिन था शरद पूर्णिमा का। उनके तीन भाई और दो बहनें हैं। तीन भाई में से दो जैन मुनि तो तीसरे भाई धर्म के काम में लगे हैं। उनकी बहनों ने भी ब्रह्मचार्य लिया हुआ है। आचार्य विद्यासागर महाराज ने अभी तक 500 से ज्यादा मुनियों को दीक्षा दी है। विद्यासागर महाराज को आचार्य पद की दीक्षा आचार्य श्री ज्ञान सागर महाराज ने 22 नवंबर 1972 को अजमेर राजस्थान में दी थी। इसके बाद आचार्य श्री ज्ञान सागर महाराज ने आचार्य श्री के मार्गदर्शन में ही 1 जून 1973 को समाधि ली थी। ऐसा पहली बार हुआ था जब एक गुरु ने पहले शिष्य को दीक्षित किया और फिर उन्हीं के मार्गदर्शन में समाधि ली।
पीएम मोदी ने भी आचार्य विद्यासागर महाराज के ब्रह्मलीन की खबर पर दुख व्यक्त करते हुए इसे अपूर्ण क्षति बताया है। पीएम ने लिखा "आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपुण्य क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। वह जीवन प्रयत्न गरीबी, उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में भी जुटे रहे। यह मेरा सौभाग्य है मुझे निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा। "
कांग्रेस नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का भी इस घटना पर शोक सामने आया है। कमलनाथ ने लिखा कि "पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संलेखना पूर्वक समाधि लेने की खबर ना सिर्फ जैन समाज के लिए बल्कि समूचे भारत और विश्व के लिए अपूण्य क्षति है। ब्रह्मलीन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ज्ञान, त्याग, तपस्या और तपोबल का सागर रहे हैं। भारत भूमि ऐसे आलौकिक संत के दर्शन, प्रेरणा, आशीष, स्पर्श और करुणा से धन्य हुई है। मैं आचार्य श्री विद्यासागर जी को भावपूर्ण प्रणाम करता हूं। शतशत नमन करता हूं। आचार्य श्री हमेशा हमारे हृदय में, हमारी चेतना हों में, हमारी आस्थाओं में और हमारे जीवन पथ पर शाश्वत रहेंगे। "
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने लिखा "पूजनीय जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने आज प्रातः अपने शरीर को त्याग दिया। उनके पवित्र जीवन को सत शत नमन। एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से विनम श्रद्धांजलि। ओम शांति : "
आचार्य विद्यासागर जी महाराज की समाधि लेने के बाद देश भर में जैन समाज के लोग आज अपनी-अपनी दुकानें बंद रखेंगे। उनके शिष्य चंद्रगी तीर्थ पर जुट रहे हैं और अपने गुरु को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)
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