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ये TTS क्या होता है और कैसे ये खतरनाक है? What is TTS and how is it dangerous?



दुनिया भर ने कोरोना वायरस का कहर देखा था। इस वायरस की रोकथाम के लिए कोरोना की वैक्सीन लगाई गई थी। वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर भी बीते कुछ सालों से चर्चा होती रही है। और इस बीच कोविड वैक्सीन बनाने वाली फार्मा कंपनी एस्ट्रा जनेका ने यूके की एक अदालत में वैक्सीन के दुष्प्रभाव की बात भी मानी है। 

लंदन के समाचार पत्र द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक एस्ट्रा जेनिका ने कोर्ट में यह माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन साइड इफेक्ट कर सकती है। कुछ मामलों में वैक्सीन के कारण थ्रोस विद थ्रोम साइटोपेनिया सिंड्रोम हो सकता है। यानी कि टीटीएस। 

What is TTS and how is it dangerous?


आइए जानते हैं कि ये टीटीएस क्या होता है और कैसे ये खतरनाक है ?


ये साइड इफेक्ट है जिसको कहते हैं हम लोग टीटीएस यानी थ्रोम्बोसिस विथ थ्रोम्बो साइटोपिनिया सिंड्रोम। 

टीटीएस यानी थ्रोम्बोसिस विथ थ्रोम्बो साइटोपिनिया सिंड्रोम की वजह से शरीर में दो गंभीर समस्याएं एक साथ हो सकती हैं। इससे शरीर में खून के थक्के यानी कि ब्लड क्लॉट बन सकते हैं। साथ ही प्लेटलेट्स की संख्या भी कम हो सकती है। खून में थक्का तब बनता है जब प्लेटलेट्स और प्रोटीन एक साथ चिपकने लगते हैं। कई मामलों में ये थक्के शरीर में खुद बखुदा तो फिर ये कई गंभीर बीमारी की वजह बन सकते हैं। खून के थक्के बनने का सबसे ज्यादा असर हार्ट और ब्रेन के फंक्शन पर देखा जाता है।

टीटीएस से शरीर पर क्या असर होता है?


टीटीएस से शरीर पर क्या असर होता है :- यह भी जान लेते हैं थोमोकी वजह से नसों में खून जम सकता है। इसका मतलब यह है कि नसों में ब्लड क्लॉट हो जाता है। इस वजह से शरीर में खून सही तरीके से चल नहीं पाता। ब्लड क्लॉट शरीर के किसी भी अंग में बन सकते हैं फिर चाहे वो आपका पैर हो हाथ हो या फिर कोई दूसरा अंग। अगर ये ब्लड क्लर हार्ट में बनते हैं तो ऐसे में हमारे दिल को ब्लड पंप करने में काफी मुश्किल होती है। इस वजह से हार्ट की नसों पर प्रेशर पड़ता है। दिल सही तरीके से काम नहीं कर पाता। ऐसे में हार्ट फेल या हार्ट अटैक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। इसी तरह अगर ब्लड क्लॉट ब्रेन में होता है तो हमारे दिमाग तक पहुंचने वाले ब्लड की सप्लाई सही तरीके से नहीं हो पाती है। इससे ब्रेन हेमरेज और ब्रेन स्ट्रोक का रिस्क भी बढ़ जाता है। टीटीएस की वजह से हमारे शरीर में प्लेटलेट्स की कमी भी हो जाती है। साथ ही कई तरह के ब्लड डिसऑर्डर्स होने का भी खतरा रहता है।

शरीर में ब्लड क्लॉट बन चुके हैं तो उसके लक्षण यानी सिमटम्स भी जान लेते हैं!


  • शरीर में अगर ब्लड क्लॉट बन चुके हैं तो उसके लक्षण यानी सिमटम्स भी जान लेते हैं। सबसे प्रमुख लक्षणों में हाथ पैरों में और पीठ में लगातार दर्द होता है।
  • बोलने में परेशानी हो सकती है।
  • अचानक तेज सिर दर्द होता है।
  • मरीज को चक्कर आ सकते हैं।
  • छाती में या फिर शरीर के ऊपरी हिस्सों में भी दर्द हो सकता है।
  • इसके अलावा सांस लेने में परेशानी तेज पसीना आना बेहोशी जैसी दिक्कतें भी सामने आती हैं। 

किन लोगों को ब्लड क्लॉट का खतरा सबसे ज्यादा होता है ?


अब यह भी जान लेते हैं कि किन लोगों को ब्लड क्लॉट का खतरा सबसे ज्यादा होता है। डॉक्टर्स के मुताबिक जिन लोगों के शरीर में विटामिन के की कमी होती है उनके खून में थक्का बनने का रिस्क रहता है। अगर आप लगातार ऐसी दवाओं का सेवन कर रहे हैं जिनमें एस्ट्रोजन होता है तो यह रक्त के थक्कोल तरों को बढ़ा सकती है। डायबिटीज, रूमेटाइड, आर्थराइटिस, ज्यादा धूम्रपान करना, मोटापा बढ़ना, हाई बी बीपी और हाई कोलेस्ट्रॉल भी ब्लड क्लॉट के बड़े रिस्क फैक्टर है।
इन बीमारियों के मरीजों को अपनी जांच जरूर करानी चाहिए।

खून के थक्के की पहचान के लिए कौन-कौन से टेस्ट कराए जाते हैं ?


ब्लड क्लॉट की पहचान के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। इनमें सबसे कॉमन है डी डिमर टेस्ट। इसके अलावा इमेजिंग टेस्ट भी होता है। इसमें अल्ट्रासाउंड मशीन के जरिए ब्लड क्लॉटिंग का पता लगाया जा सकता है। खासकर पैर की नसों में और हार्ट में इसकी जांच की जाती है। हार्ट में क्लॉट की जांच के लिए एंजियोग्राफी की जाती है या फिर सीटी स्कैन का सहारा लिया जाता है। इन टेस्ट की मदद से शरीर में कहीं भी मौजूद ब्लड प्लॉट की जानकारी मिल जाती है। 

क्या इस बीमारी का इलाज संभव है ?


अब आपके मन में यह भी सवाल उठ रहा होगा कि क्या इस बीमारी का इलाज संभव है तो हमारा जवाब है बिल्कुल संभव है। अगर आपकी टेस्ट रिपोर्ट में ब्लड क्लॉट मिलता है तो बिना देरी किए फौरन डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर आपकी परेशानी को देखते हुए ट्रीटमेंट देगा। इलाज की बात करें तो डॉक्टर आपको एंटीकोगुलेंट्स दे सकता है। दरअसल एंटीकोगुलेंट्स खून को पतला करने वाली दवाइयां होती हैं और ये दवाएं शरीर में ब्लड क्लॉटिंग को रोकती हैं। लेकिन आपके शरीर में पहले से खून के थक्के बने हुए हैं तो ऐसे में दवाइयां असर नहीं करती। एंटीकोगुलेंट्स मेडिसिन का यूज शरीर में नए थक्कोल से रोकने में किया जाता है। लेकिन ब्लड क्लॉट्स को खत्म करने के लिए डॉक्टर आपको थ्रोम बोलाइन दवाई देते हैं। इसके बावजुद इन दवाओं से समस्या हल नहीं होती तो फिर थ्रोम टोमी की जाती है। ये एक तरह की सर्जरी होती है जिससे शरीर में जमा ब्लड क्लॉट्स को हटाया जा सकता है।

TTS से कैसे बचे?


  • आखिर में यह भी जान लेते हैं टीटीएस से कैसे बचे। 
  • इसके लिए सबसे जरूरी है आपकी सजगता। 
  • समय-समय पर बॉडी चेकअप करवाते रहें 
  • रेगुलर एक्सरसाइज करें 
  • तनाव मुक्त जीवन जिए हेल्दी डाइट फॉलो करें 
  • स्मोकिंग और अल्कोहल का सेवन ना करें 
  • सबसे जरूरी अपने वेट को कंट्रोल करें ये 
कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाकर टीटीएस से बचा जा सकता है। 

(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) RRR
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