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पाकिस्तान को कर्ज देने वाले IMF के पास कहां से आता है पैसा?



हम अक्सर सुनते रहते हैं कि आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज दिया। आईएमएफ ने दुनियाके 60 से अधिक देशों को कर्ज दे रखा है। 
पाकिस्तान को कर्ज देने वाले IMF के पास कहां से आता है पैसा?


आखिर दुनिया को पैसे बांटने वाले आईएमएफ के पास इतना पैसा कैसे और कहां से आता है ?


इसके साथ ही हम आपको बताएंगे कि क्या है आईएमएफ और इसमें कैसे जुड़ते हैं तमाम देश ?


दरअसल आईएमएफ यानी इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड हिंदी में कहें तो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष। यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसमें दुनिया के 90 देश शामिल हैं। यह मिलकर काम करते हैं ताकि दुनिया की अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित रखा जा सके। आईएमएफ का गठन 1944 में अमेरिका में हुए ब्रिटेन वुड सम्मेलन में हुआ था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुए सम्मेलन में यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ सहित 44 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। देशों ने युद्ध के बाद की फाइनेंशियल सिस्टम पर चर्चा की जिसमें तय हुआ कि एक एक्सचेंज सिस्टम कैसे बनाया जाए और डिरेल्ड हुई यूरोप की अर्थव्यवस्था को फिर से कैसे ठीक किया जाए। इस तरह इसकी शुरुआत हुई और कर्ज देकर उन देशों की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने की कोशिश की गई। 

किसी भी देश को आईएमएफ से जुड़ने के लिए आवेदन करना पड़ता है और शर्तों को पूरा करना होता है। आवेदन के साथ उन्हें अपने देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी कई तरह की जानकारियां देनी होती हैं। और आईएमएफ कोटा सब्सक्रिप्शन पाने के लिए एक तय राशि भी चुकानी पड़ती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जो देश जितना अमीर होगा उसे उतनी ही ज्यादा राशि देनी होगी। 

आईएमएफ काम कैसे करता है?


अब आपको बताते हैं कि आईएमएफ काम कैसे करता है ? 
आईएमएफ की नजर तीन चीजों पर रहती है। 
  1. पहली कि ये दुनिया भर के देशों की ऐसी घटनाओं पर नजर रखता है जिनका असर सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था पर होता है। जैसे व्यापार से जुड़े विवाद। 
  2. दूसरा अपने सदस्य देशों के लिए एडवाइजरी जारी करना और बताना कि कैसे वह अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर बना सकते। 
  3. तीसरा और यह सबसे अहम है। आर्थिक संकट से जूझ रहे देशों को कर्ज देना। आईएमएफ के पास तीन तरह से पैसे आता है। इससे जुड़ने के लिए जो देश कैपिटल सब्सक्रिप्शन जमा करते हैं वह भी इसकी कमाई का हिस्सा है।

वह कितना पैसा जमा करेंगे यह उस देश की अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है। 


  1. आईएमएफ के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने 2023 में कोटा का रिव्यू किया और कैपिटल सब्सक्रिप्शन में 50 फीसदी की बढ़ोतरी थी। इसके अलावा सदस्य देशों की मंजूरी के लिए उन्हें इसकी जानकारी भी भेजी गई थी।
  2. दूसरा तरीका है एनबी यानी न्यू अरेंजमेंट्स टू बोरो। आईएमएफ के बोर्ड ने 1997 में इसे मंजूरी दी थी और 1998 में प्रभावी हुआ है। एनएबी इस तरह का फ्रेंड रेंज करने जैसा है। एनएबी सदस्य देशों और संस्थानों को इंटरनेशनल मॉनेटरी सिस्टम की चुनौतियों से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधन उधार देने की अनुमति देती है। 
  3. तीसरा तरीका है बायलट बोरोंग एग्रीमेंट्स। यह एक तरह का समझौता है जो आईएमएफ और सदस्य देशों के बीच होता है। इसके तहत आईएमएफ सदस्य देशों से कर्ज लेता है। इस तरह यह संगठन सुनिश्चित करता है कि उसके पास पैसों की तंगी ना हो और वह दूसरे देशों को कर्ज दे सके। इस समझौते में कर्ज की राशि कम होती है। इस तरह यह तीन तरीकों से पैसा जुटाने का काम करता है। 

(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)

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