aa-a-aa-a-aa
aa-a-a-aa-
સમાચાર WhatsApp પર મેળવવા માટે જોડાવ Join Now

भारतीय परिवारों की बचत क्यों घट रही है? कर्ज बढ़ना भी खतरे की घंटी! Why are the savings of Indian families declining?



इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम सब चाहते हैं कि खूब पैसा कमाएं और उससे ज्यादा बचाएं। बड़े बुजुर्ग कह गए कि पैसा कमाने से ज्यादा बचाना यानी कि सेविंग करना बड़ी बात है। यह आगे काम देता है। जैसे आपको याद होगा कोरोना में कई लोगों की नौकरी चली गई थी। कई लोगों के पास पैसे नहीं थे लेकिन जिसने पैसों की बचत की हुई थी उसने वह वक्त भी काट लिया। बचत का यही फायदा है। लेकिन भारत सरकार की एक रिपोर्ट आई है जो डराने वाली और यह रिपोर्ट कहती है कि पिछले कुछ सालों में भारतीय प से नहीं बचा पा रहे हैं।

भारतीय परिवारों की बचत क्यों घट रही है? कर्ज बढ़ना भी खतरे की घंटी!


आलम यह है कि महज 3 साल के अंदर ₹ 9 लाख करोड़ की सेविंग्स खत्म हो गई। गांव में रहने वाले किसी तरह जिंदगी गुजार रहे हैं। वहां अनाज है साग सब्जी है खाने की कोई दिक्कत नहीं। शहर में तो पीने के पानी के लिए भी पैसा देना होता है। साग सब्जी महंगी इतनी कि आदमी रोज पनीर ही खा ले। ऐसा नहीं कि पनीर सस्ता है लेकिन हर दिन की सब्जी का दाम जोड़े तो पनीर उतना नहीं अखरता लेकिन सब्जी तो खानी है। डॉक्टर भी कहते हैं सब्जी खाओ, सब्जी खरीद के लोग खा रहे हैं तो और चीजों की किल्लत हो जाती है।

गर्मी में पारा 40 पार है। एसी की जरूरत होगी लेकिन पैसे तो ऑफिस जाने आने और सब्जी खरीदने में खर्च हो गए। कपड़े भी आदमी खरीद ही लेता है। ऐसे में पैसा बचता कहां है। यही एक दिव्य कार्ड हमारी जिंदगी का सहारा बनता है जिसे हम क्रेडिट कार्ड कहते हैं। गांव में लोग दूसरों से कर्ज लेते हैं और शहरों में बैंक से क्रेडिट कार्ड। 

क्रेडिट कार्ड का जिक्र हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि भारतीय परिवारों पर कर्ज बढ़कर दो गुना हो गया है। ऐसा हम नहीं बल्कि एनबीएफसी के आंकड़े कह रहे हैं। हालांकि इस दौरान लोगों ने शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में अपना निवेश बढ़ाया है। सांख्य की और कार्यक्रम कार्य निवन मंत्रालय ने एक आंकड़ा जारी कर बताया कि देश में परिवारों की शुद्ध बजट ती वर्षों में ₹ 9 लाख करोड़ से अधिक घटकर वित्त वर्ष 2022-23 में 14.16 लाख करोड़ ही रह गई है।

मंत्रालय की तरफ से जारी ताजा राष्ट्रीय खाता सांख्य की 2024 के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में परिवारों की शुद्ध बचत 23.29 लाख करोड़ पहुंच गई थी, लेकिन उसके बाद से उसमें लगातार गिरावट आ रही है। मंत्रालय ने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में परिवारों की शुद्ध बचत घटकर 17.12 लाख करोड़ रए ही रह गई। यह वित्त वर्ष 2022-23 में और भी कम होकर 14.16 लाख करोड़ रह गई। जो पिछले 5 सालों का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले शुद्ध घरेलू बचत का निचला स्तर वर्ष 2017-18 में 13.05 लाख करोड़ रए था। यह 18-19 में बढ़कर 4.92 लाख करोड़ और 2019-20 में 15.4 लाख करोड़ हो गया था।

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2020-21 से लेकर 2022-23 के दौरान म्यूचुअल फंड्स में निवेश लगभग तीन गुना बढ़कर 1.79 लाख करोड़ हो गया। जो 2020-21 में 64084 करोड़ था। शेयरों और अन्य इन्वेस्टमेंट में परिवारों का निवेश इस अवधि में 1.07 लाख करोड़ से लगभग दोगुना होकर 2022-23 में 2.06 लाख करोड़ हो गया। मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि परिवारों पर बैंक ऋण भी इन तीन सालों में दो गुना होकर 2022-23 में 1.88 लाख करोड़ हो गया है। यह 2020-21 में 6.05 लाख करोड़ और 2021-22 में 7.69 लाख करोड़ था।

वित्तीय संस्थानों और गैर बैंकिंग वित्ती कंपनियों की तरफ से परिवारों को दिए जाने वाले कर्ज भी साल 2020-21 में 93723 करोड़ से चार गुना बढ़कर 2022-23 में 3.33 लाख करोड़ हो गया। वित्त वर्ष 2021-22 में यह 1.92 लाख करोड़ था। देश में कर्ज लेने वालों की कमी नहीं है। कई लोग तो कर्ज लेकर देश से भाग जाते हैं, लेकिन सरकार का जो यह आंकड़ा है यह उन भागने वाले लोगों का नहीं है। यह आंकड़ा उन लोगों का है जिन्होंने अपना परिवार यहां बसाया हुआ है। एक पूरी नई बनाई दुनिया है वह हर दिन यही जी रहे हैं। यह लोग इस दुनिया को छोड़कर नहीं जा सकते। कई ऐसे लोग हैं जो कर्ज चुकाते हैं और फिर कर लेते हैं अपनी जिंदगी जीने के लिए। अपना किचन चलाने के लिए, बच्चों की स्कूल की फीस भरने के लिए और अपनों का इलाज करने के लिए। 

फरियाद आजर का एक शेर है

अदा हुआ ना कर्ज़ और वजूद खत्म हो गया 
मैं जिंदगी का देते देते सूद खत्म हो गया 

एनबीएफसी यानी कि नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन का यह आंकड़ा देश के इकॉनमी के लिए भी अच्छा नहीं है। बोलचाल की भाषा में कहा जाता है कि उस देश की इकॉनमी अच्छी मानी जाती है जहां के लोगों की परचेंजिंग क्षमता ज्यादा ना हो कि जिस देश के लगातार लोग कर्ज में डूबते जाएं। यह आंकड़ा भारत की इकॉनमी के लिए भी एक तरह से खतरा है। समय रहते नहीं संभले तो फिर देश में कर्जदार ज्यादा होंगे और सामान खरीदने वाला कोई भी नहीं। 

(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)

Post a Comment

Previous Post Next Post