कुछ देशों में इस वक्त एक नए तूफान 'असना' की खूब चर्चा हो रही है। मौसम विभाग के मुताबिक यह तूफान अगले 24 घंटे में अरब सागर के उत्तर पूर्व में पश्चिम उत्तर पश्चिम की तरफ बढ़ेगा और भारतीय तट से दूर हो जाएगा। असना तूफान साल 1976 के बाद से अरब सागर में अगस्त के महीने के दौरान आया पहला चक्रवात तूफान है। इस तूफान का असना नाम पाकिस्तान ने रखा है।
बता दें कि 21 अगस्त 2024 तक इस तूफान के गुजरात के तटों से टकराने की आशंका जताई गई थी। हालांकि अब यह अरब सागर में पाकिस्तान की तरफ मुड़ गया है। गुजरात के पास अरब सागर में हुई इस हलचल ने वैज्ञानिकों को भी चकरा दिया है। बता दें कि आमतौर पर तूफान समुंद्र में बनते हैं। इसके बाद वह जमीन पर आकर बसते हैं। लेकिन असना तूफान जमीन के ऊपर दबाव बनाकर समुद्र में जा रहा है और फिर एक चक्रवाती तूफान का रूप ले रहा है। इतना ही नहीं अगस्त के महीने में अरब सागर में इस तरह का साइक्लोन बनना भी वैज्ञानिकों को हैरत में डाल रहा है।
आमतौर पर मानसून में अरब सागर का तापमान 26 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। वहीं चक्रवाती तूफान तब बनते हैं जब तापमान 26.5 डिग्र से ऊपर जाता है। ऐसे में जुलाई से लेकर सितंबर तक यहां साइक्लोन बनने की संभावना बेहद कम होती है। वहीं मानसून में अरब सागर का पश्चिमी हिस्सा बेहद ठंडा है और अरब प्रायद्वीप से शुष्क हवाएं आती हैं जिसके चलते चक्रवाती तूफान नहीं बनता। मौसम विभाग के मुताबिक बेहद दुर्लभ मामलों में ही अगस्त के महीने में अरब सागर में चक्रवाती तूफान देखने को मिलते हैं।
वहीं अब सिर्फ तीन तूफान ही अगस्त में अरब सागर से उठे हैं।
पहला 1944, दूसरा 1974 में और तीसरा साल 1976 में आया था।
यह तीनों तूफान तट पर आते ही काफी कमजोर पड़ गए थे। हालांकि बंगाल की खाड़ी में पिछले 132 साल में अगस्त के महीने में अब तक 28 तूफान आ चुके हैं। मौसम विभाग के मुताबिक आमतौर पर चक्रवाती तूफान नवंबर के महीने में ज्यादा देखने को मिलते हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधव राजीव ने भी अपने एक्स हैंडल पर इसको लेकर हैरानी जताई है।
उन्होंने लिखा "यह देखकर हैरानी हो रही है कि उत्तर अरब सागर पर बना सिस्टम चक्रवाती तूफान में तब्दील होता जा रहा है। किताबों में हमने सीखा कि उत्तर अरब सागर मौसम के दौरान समुंद्र के उभार के कारण ठंडा हो जाता है और कोई भी प्रणाली तीव्र नहीं हो पाती है। क्या यह ग्लोबल वार्मिंग का असर है इसे बेहतर ढंग से समझने की जरूरत है। "
इस तरह के तूफान की वजह से सवाल खड़ा हो रहा है कि कहीं यह ग्लोबल वार्मिंग के चलते तो नहीं हो रहा। वैज्ञानिकों को इसकी जांच शुरू कर देनी चाहिए ताकि आगे चलकर किसी तूफान के जमीन के अंदर से निकलकर समुंद्र में जाकर चक्रवाती बनने की इस दुर्लभ कंडीशन की भविष्यवाणी की जा सके। आपको बता दें यह साइक्लोन असना जैसी घटना तकरीबन 50 साल बाद हो रही है।
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(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) RRR
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