आज हम आपके लिए एक ऐसी खबर लाये है जो इंडिया के हेल्थ सेक्टर में क्रांति ला सकती है।
क्या आप सोच सकते है की टाइप 1 डायबिटीज का ट्रीटमेंट इतना आसान हो जाएगा कि आपको रोजाना इंसुलिन के इंजेक्शन लेने की जरूरत ही ना पड़े?
आज हम बात करेंगे स्मार्ट इंसुलिन के बारे में। स्मार्ट इंसुलिन एक रेवोल्यूशन इनोवे है जो आपके ब्लड शुगर लेवल को रियल टाइम में कंट्रोल कर सकता है और डायबिटीज के ट्रीटमेंट को बदल कर रख देगा।
क्या आपने सोचा है कि इंडिया जैसे देश जहां डायबिटीज एक बड़ी हेल्थ क्राइसिस बन चुकी है वहीं आने वाले समय में यह स्मार्ट इंसुलिन एक गेम चेंजर बन सकता है?
आज की इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि यह नई ग्लूकोस रिस्पांसिस इंसुलिन किस तरह से डायबिटीज पेशेंट्स की जिंदगी को आसान बनाने वाली है और कैसे यह आपके हेल्थ को एक नए लेवल पर ले जाएगी।
आइए सबसे पहले समझते हैं कि यह इंसुलिन क्या है?
इंसुलिन एक हार्मोन है जो पैंक्रियास के बीटा सेल से रिलीज होता है। दरअसल पैंक्रियाज में दो तरह के सेल्स होते हैं। अल्फा सेल और बीटा सेल। अल्फा सेल का काम होता है कि जब भी बॉडी में ग्लूकोज की कमी हो तो यह अल्फा सेल बॉडी में स्टोर्ड ग्लूकोज को बॉडी में रिलीज करते हैं और शुगर लेवल को मेंटेन करते हैं। वहीं बीटा सेल का काम होता है कि जब भी बॉडी में शुगर लेवल बढ़ जाए तो उस बढ़े हुए शुगर को सेल्स के अंदर एब्जॉर्ब करा के शुगर लेवल को मेंटेन करना। यह हार्मोन ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है।
लेकिन टाइप वन डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें हमारा पैंक्रियास इंसुलिन नहीं बना पाता या बहुत ही कम मात्रा में इंसुलिन बनाता है। इसी वजह से पेशेंट्स को अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए रोजाना इंसुलिन का एक इंजेक्शन लेना पड़ता है। लेकिन नए ग्लूकोज रिस्पांसिस इंसुलिन यानी स्मार्ट इंसुलिन के आने से इस प्रोसेस में एक बड़े बदलाव की उम्मीद है। स्मार्ट इंसुलिन इस तरह से डिजाइन किए गए हैं जो आपके ब्लड शुगर लेवल को रियल टाइम में मॉनिटर कर सकते हैं। अगर आपका शुगर लेवल बढ़ता है तो यह इंसुलिन ऑटोमेटिक रिएक्ट करती है। और आपके शुगर लेवल को कंट्रोल में ले आती है। और जब शुगर लेवल नॉर्मल हो जाता है तो यह इंसुलिन इनएक्टिव हो जाती है।
आने वाले समय में सायद आपको इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ेगी चाहे वो इंजेक्शन के रूप में हो या फिर टैबलेट के रूप में। यह टेक्नोलॉजी आपके ब्लड शुगर लेवल को बेटर कंट्रोल करने में मदद करेगी। और आपको बार-बार ग्लूकोज मॉनिटरिंग करने की झंझट से बचाएगी।
आज के समय में दुनिया की कई रिसर्च इंस्टिट्यूट इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं। उनका एम है टेक्नोलॉजी को जल्दी से मार्केट में लाना और ट्रायल शुरू करना। यह नए प्रोजेक्ट टाइप वन डायबिटीज ट्रीटमेंट के लिए बॉडी के नेचुरल रिस्पांस को क्लोजली मिमिक कर सकते हैं। जो डायबिटीज के इलाज में एक नए कदम की शुरुआत हो सकती है।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) Share
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