સમાચાર WhatsApp પર મેળવવા માટે જોડાવ Join Now

दिन की अच्छी शुरुआत के लिए आवश्यकतानुसार इन मंत्रों का प्रयोग करें



कहते हैं कि यदि दिन की शुरुआत अच्छी हो तो पूरा दिन हंसी खुशी से बीतता है। इसीलिए हर कोई चाहता है कि उसके दिन की शुरुआत अच्छी हो। सनातन हिंदू धर्म में मान्यता है कि सुबह आंख खुलते ही भगवान का नाम लेने से और दिन भर उनके मंत्रों को जपने से दिन अच्छा होने के साथ ही भाग्योदय भी होता है। 

सनातन परंपरा में ईश्वर के मंत्रों को विशेष महत्त्वपूर्ण और महा उपाय के लिए बताया गया है। प्रतिदिन सुबह से लेकर रात को सोने तक इन मंत्रों को जपने से चमत्कारिक रूप से काष्ट दूर होकर आपके घर में ना केवल सुख शांति आती है बल्कि आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। 
दिन की अच्छी शुरुआत के लिए आवश्यकतानुसार इन मंत्रों का प्रयोग करें


हर देवी देवताओं के लिए अलग-अलग मंत्र होते हैं। 


कहा जाता है कि किसी भी मंत्र का ध्यानपूर्वक और शांत चित से जाप करने से शरीर की आंतरिक शक्तियां जागृत होकर सकारात्मक ऊर्जा लेकर आती है। जिससे पूरा दिन व्यक्ति ऊर्जा से भरा रहता है और बिगड़े काम धीरे-धीरे बनने लगते हैं। लेकिन बदलते समय के साथ हम इस परंपरा से दूर होते जा रहे हैं। मंत्र हमारी आस्था से जुड़े होते हैं और यदि आपका मन इन मंत्रों को स्वीकार करता है तभी इसका जाप करें। तभी फल प्राप्त होगा। 

आज हम कुछ ऐसे मंत्रों के बारे में बात करेंगे जो प्रात उठने से लेकर रात को सोने से पहले हर सनातनी व्यक्ति को बोलना चाहिए। 

चलिए जानते हैं इन मंत्रों के बारे में। 


1. सुबह उठते ही सबसे पहले आंख खुलते ही अपनी दोनों हथेलियां देखकर इस मंत्र का जाप करें अन्यता है कि सुबह उठते ही इस मंत्र को पढ़कर अपने हाथों के दर्शन करना लाभदायक होता है।


कराग्रे वस्ते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती। 
कर्मुले तू गोविंद: प्रभाते कर दर्शनम ॥

2.  धरती पर पैर रखने से पहले धरती मां को प्रणाम करिए मंत्र बोले। इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है और पूरा दिन अच्छा जाता है।


समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडले। 
विष्णुपत्नी नमस्तुभयम पादस्पर्शम क्षमस्वमें ॥

3.   त्रिदेव के साथ नवग्रहों का भी स्मरण करें।

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी
भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥

4. दातून मंजन करने से पहले यह मंत्र बोले। 

आयुर्बलं यशो वर्चः प्रजाः पशुवसूनि च। 
ब्रह्मप्रज्ञां च मेधां च त्वन्नो देहि वनस्पते ॥

 और स्नान से पहले यह मंत्र बोले 

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। 
नर्मदे सिंधु कावेरी जले अस्मिन सन्निधि कुरु ॥

5. फिर स्नानादि कर इस मंत्र के साथ भगवान सूर्यदेव को नमन करें। मान्यता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और धन की वृद्धि होती है। 

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर। 
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते ॥

ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि, 
तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ॥

6. जब अपने घर के मंदिर दीप प्रज्वलित कर रहे हो तो इस मंत्र को बोल सकते हैं। 

शुभं करोति कल्याणम-आरोग्यं धनसंपदा |
शत्रुबुद्धि विनाशाय दीपज्योति-नमोऽस्तुते ॥

या इस मंत्र को बोले 

दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:। 
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते ॥

7.  पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। 

वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभा 
निर्विघ्न कुरु में देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

ॐ गं गणपतये नमः ॥

8.  मन में शक्ति का संचार के लिए मां दुर्गा का मंत्र बोले। 

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके 
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥

9. धन संप्रदा के लिए लक्ष्मी जी का मंत्र बोले। 

ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा: ॥

10. विष्णु जी के मंत्र है। 

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। 
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥

या इस मंत्र को बोले। 

ॐ मंगलम भगवान विष्णु, 
मंगलम गरुड़ ध्वजः, 
मंगलम पुण्डरी काक्षः, 
मङ्गलाय तनो हरिः ॥

विष्णु स्तुति 

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णुं भवभ्यहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

विष्णु जी का मंत्र 

ॐ  नमो भगवते वासुदेवाय नमः ॥

11 फिर शिव स्तुति करें। 

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ॥

12.  श्री कृष्ण स्तुति 

कस्तूरीतिलकं लालतपटले वक्षस्थले कौस्तुभं
नासाग्रे नवमुक्तकं करतले वेणुं करे कङ्कनम् ।
सर्वाङ्गे हरिचंदनं सल्लितं कण्ठे च मुक्तावलिं
गोपास्त्री पूर्वेष्टितो विजयते गोपाल चूड़ामणिः ॥
मूकं करोति वाचलं पङ्गुं लङ्घयते गिरिं ।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम् ॥

13 श्रीराम वंदन। 

लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
करुणारूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥

रामा अष्टक श्लोक 

श्रीरामाष्टक हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा। 
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥ 
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते। 
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥

एक श्लोकी रामायण। 

आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्। 
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।। 
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्। 
पश्चाद्रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम् ॥

14 हनुमान वंदना 

प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन।
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

15 भोजन से पहले यह मंत्र बोले 

ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥
ॐ शांति, शांति, शांतिः ॥
 

16 भोजन के बाद यह मंत्र बोले 

अगस्त्यं कुम्भकर्ण च शनिं च वडवानलम |
आहार परिपाकार्थ स्मरेद भीमं च पंचमम ||
अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः ।
यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः ॥

17 अध्ययन पाई से पहले यह सरस्वती मंत्र बोले 

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम् ॥

या इस सरस्वती वंदना को बोले 

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या
वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। 
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। 
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥

18 संध्या को पूजा करते समय यह मंत्र बोले (गायत्री मंत्र)

ॐ भूर् भुवः स्वः। 
तत् सवितुर्वरेण्यं ॥
भर्गो देवस्य धीमहि। 
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य मंत्र 


19 

गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, 
गुरु देवो महेश्वरा ॥
गुरु साक्षात परब्रह्म, 
तस्मै श्री गुरुवे नमः ॥

20

करार विन्दे  न पादारविन्दं 
मुखार   विन्दे विनवे शयन्तम् ॥  
वटस्य पत्रस्य  पुटे शयानम् 
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥

21

सी‍ताराम चरण कमलेभ्योनम: 
राधा-कृष्ण-चरण कमलेभ्योनम: ॥

22

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमै: 
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं श्री रामनाम वरानने ॥

23.

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या च द्रविणम त्वमेव,
त्वमेव सर्वमम देव देवः ॥

24

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥

25 महामृत्युंजय मंत्र 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

एप्लीकेशन से मंत्रो देखने है तो यहाँ क्लिक करें:- Click Here


(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) Share
વોટ્સએપ ગ્રુપમાં જોડાવો Join Now
Telegram Group Join Now
Now

Post a Comment

Previous Post Next Post