भारत में किराएदारी की व्यवस्था वर्षों से चली आ रही है। आज के समय में जब लोग एक शहर से दूसरे शहर में काम या पढ़ाई के सिलसिले में जाते हैं, तो वे किराए के मकानों में रहना पसंद करते हैं। ऐसे में मकान मालिक अपनी खाली पड़ी संपत्तियों को किराए पर देकर अच्छी-खासी आय अर्जित कर लेते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर कोई किरायेदार लगातार 12 वर्षों तक आपकी संपत्ति में बिना किसी कानूनी आपत्ति के रह रहा है, तो वह आपके घर पर मालिकाना हक (Ownership) का दावा कर सकता है? जी हां, यह बिल्कुल सच है — और इस कानून को भारतीय न्याय प्रणाली में प्रतिकूल कब्जा (Adverse Possession) कहा जाता है।
क्या होता है प्रतिकूल कब्जा (Adverse Possession)?
प्रतिकूल कब्जा एक ऐसा प्रावधान है जिसके अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति लगातार और बिना विरोध के किसी संपत्ति पर 12 साल से अधिक समय तक कब्जा करके बैठा हो, तो वह उस संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है।
यह कानून भारतीय संविधान में सिविल प्रोसीजर कोड (CPC) की धारा 27 और लिमिटेशन एक्ट, 1963 के तहत आता है।
किन शर्तों पर किरायेदार कर सकता है दावा?
- किरायेदार लगातार 12 वर्षों तक मकान में रह रहा हो।
- इस दौरान मकान मालिक ने कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की हो।
- किरायेदार रेंट एग्रीमेंट के बिना रह रहा हो।
- वह खुद से बिजली, पानी और प्रॉपर्टी टैक्स भर रहा हो।
- मकान मालिक ने कभी कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई हो।
जरूरी दस्तावेज़ जो किरायेदार को प्रस्तुत करने होंगे
- बिजली और पानी का बिल (किरायेदार के नाम पर)
- प्रॉपर्टी टैक्स रसीदें
- आवासीय प्रमाण पत्र (Address Proof)
- स्थानीय निकाय से प्राप्त निवास प्रमाण
- बिना रेंट एग्रीमेंट के रहने का साक्ष्य
अगर रेंट एग्रीमेंट है, तो क्या होगा?
यदि किरायेदार आपके घर में लिखित रेंट एग्रीमेंट के तहत रह रहा है, तो वह प्रतिकूल कब्जे का दावा नहीं कर सकता है। रेंट एग्रीमेंट यह साबित करता है कि किरायेदार मालिक की अनुमति से रह रहा है, इसलिए वह कभी भी "Adverse Possession" का केस नहीं बना सकता।
यह समस्या कब और क्यों उत्पन्न होती है?
- मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट नहीं बनवाता है।
- वर्षों तक किरायेदार की स्थिति का जायजा नहीं लेता।
- बिल्स किरायेदार के नाम पर करवा देता है।
- लिखित दस्तावेजों में लापरवाही बरती जाती है।
मकान मालिक को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
1. रेंट एग्रीमेंट अवश्य बनवाएं
- हमेशा एक लिखित रेंट एग्रीमेंट बनवाएं।
- 11 महीने की अवधि का समझौता बनाएं और समय-समय पर उसका नवीनीकरण करें।
2. बिजली और पानी के बिल अपने नाम पर रखें
- कभी भी किरायेदार के नाम पर बिल ट्रांसफर न करें।
- आप ही बिल भरें और उसका भुगतान किरायेदार से लें।
3. नियमित निरीक्षण करें
- हर 3-6 महीने में प्रॉपर्टी की स्थिति की जांच करें।
- किरायेदार से मिलने और बात करने की आदत बनाएं।
4. समय-समय पर किरायेदार बदलें
- एक ही किरायेदार को सालों तक मकान न दें।
- हर 2-3 साल में किरायेदार को बदलने की योजना बनाएं।
5. कानूनी सलाह लें
- अगर किरायेदार कोई अनियमितता करता है या खाली नहीं कर रहा, तो तुरंत वकील की मदद लें।
- नोटिस भेजें और बेदखली की प्रक्रिया शुरू करें।
क्या कोर्ट में मकान मालिक का पक्ष मजबूत रहेगा?
अगर मकान मालिक के पास रेंट एग्रीमेंट है और उसने समय-समय पर किराया लिया है, बिल भरे हैं, और निरीक्षण किया है, तो किरायेदार का दावा कमजोर पड़ जाएगा। कोर्ट में दस्तावेज सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. क्या हर किरायेदार 12 साल बाद मकान पर दावा कर सकता है?
नहीं, केवल वे किरायेदार जो बिना रेंट एग्रीमेंट के, लगातार 12 साल से रह रहे हैं और जिनके पास दस्तावेज़ हैं।
Q2. क्या रेंट एग्रीमेंट से किरायेदार का दावा खत्म हो जाता है?
जी हां, रेंट एग्रीमेंट होने पर वह प्रतिकूल कब्जे का दावा नहीं कर सकता।
Q3. क्या मकान मालिक को हर साल एग्रीमेंट रिन्यू कराना जरूरी है?
हां, हर 11 महीने में एग्रीमेंट का नवीनीकरण करें।
Q4. किरायेदार को कैसे निकालें अगर वह खाली नहीं कर रहा?
कानूनी नोटिस दें और वकील की मदद से कोर्ट से बेदखली का आदेश प्राप्त करें।
Q5. क्या 12 साल बाद किरायेदार स्वतः मालिक बन जाता है?
नहीं, उसे कोर्ट में प्रमाण देना होता है, और सभी शर्तें पूरी होनी चाहिए।
निष्कर्ष
12 साल का नियम केवल उन मामलों में लागू होता है जहां मकान मालिक निष्क्रिय रहा हो और किरायेदार ने खुद को मालिक की तरह स्थापित कर लिया हो। यदि आप एक सतर्क और जिम्मेदार मकान मालिक हैं, तो आपके घर पर कोई दावा नहीं कर सकता।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) RRR
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