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ISRO का ये Mission पहुंचाएगा VyomMitra और 4 यात्रियों को Space




भारत ने पहली बार स्पेस में इंसान को 1984 में भेजा था। आपको यह नाम याद होगा राकेश शर्मा। उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भारत को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए कई कोशिशें कर रही थी। जिसके लिए वह सोवियत संघ से मदद ले रही थी। इसी के बाद साल 1984 में राकेश शर्मा पहले भारतीय थे जो अंतरिक्ष में गए थे। उसके बाद अब भारत अंतरिक्ष में इंसान भेजने को एक बार फिर तैयार हो चुका है। प्रधानमंत्री ने 27 फरवरी को ही इस मिशन को अंजाम देने वाले चार अंतरिक्ष यात्रियों का ऐलान किया है। गगनयान  मिशन (Gaganyaan Mission) मिशन के तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किमी ऊपर स्पेस के ऑर्बिट में भेजा जाएगा। जहां वह तीन दिन बिताकर वापस लौटेंगे। 

गगनयान  मिशन (Gaganyaan Mission)


अब क्या है यह गगनयान  मिशन (Gaganyaan Mission)?


कौन है वो चार एस्ट्रोनॉट्स और कैसे इनका सिलेक्शन हुआ और इस मिशन से भारत को क्या हासिल होगा ?


यह सब हम बताएंगे

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 फरवरी को चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम का ऐलान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह सिर्फ चार नहीं बल्कि 140 करोड़ देशवासियों का सपना है। यह चार यात्री भारतीय वायु सेना से हैं। भारतीय वायु सेना से चुने गए इन चार अधिकारियों के नाम हैं ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्ण नैयर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगत प्रताप और विन कमांडर शुभांशु शुक्ला। पीएम ने इनके नामों का ऐलान तिरुवंतपुरम में ISRO केंद्र पर किया, जहां इन चारों यात्रियों को सुनहरे बैज लगाए गए थे। 

अब जरा गगन यान मिशन पर आ जाते हैं ?


दरअसल गगनयान  मिशन (Gaganyaan Mission) में तीन दिन स्पेस की ऑर्बिट में बिताने के दौरान अंतरिक्ष यात्री कई तरह के टेस्ट करेंगे। एस्ट्रोनॉट्स को भेजने से पहले महिला रोबोट अंतरिक्ष यात्री व्योममित्र को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। ओमित्र अंतरिक्ष यात्री को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह सभी काम कर सकता है। जैसे कि वार्निंग जारी करना, लाइव सपोर्ट ऑपरेशंस ये सब वियोम करने के काबिल है।

अब सवाल यह है कि इन एस्ट्रोनॉट्स का सिलेक्शन कैसे हुआ था? 


इस मिशन के लिए चुने गए सभी एस्ट्रोनॉट इंडियन एयरफोर्स में टेस्ट पायलट हैं। इनके नाम 4 साल पहले ही फाइनल हो गए थे। अंतरिक्ष यात्री के चुनाव के लिए एयरफोर्स के सैकड़ों पायलट का टेस्ट हुआ था। इन पायलट के क्लिनिकल एरोमेटिक के साथ-साथ बहुत सारे टेस्ट हुए। इन सब में में से 12 लोगों को चुना गया। इसके बाद कई और राउंड की चुनावी प्रक्रिया चली जिसके बाद नेशनल क्रू सिलेक्शन बोर्ड ने चार उम्मीदवारों के नाम गगनयान  मिशन (Gaganyaan Mission) के लिए फाइनल किए थे। इसके बाद गगनयान  मिशन (Gaganyaan Mission) के चार यात्रियों की ट्रेनिंग 3 साल से चल रही है। शुरुआत में इन्हें 13 महीने की ट्रेनिंग के लिए रूस के गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया था। फिलहाल यह बेंगलुरु में इसरो के बनाए ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर में ट्रेनिंग कर रहे हैं।

खैर इस मिशन पर काम साल 2007 से ही शुरू हो गया था लेकिन बजट ना होने की वजह से यह मिशन 2014 तक अटका रहा था। इसके बाद कई लेवल के परीक्षण किए गए जिसमें सफलता प्राप्त नहीं हो पाई थी। लेकिन अब इसे 2025 में लॉन्च किया जाएगा। इस पूरे मिशन का खर्चा 9000 करोड़ है। 

इस मिशन में कोई भी महिला एस्ट्रोनॉट क्यों नहीं है ?


रिपोर्ट के मुताबिक 4 साल पहले जिस दौर में टेस्ट पायलट का चयन हुआ था उस समय महिलाएं टेस्ट पायलट होती ही नहीं थी। इसगगनयान  मिशन (Gaganyaan Mission) में वैसे तो चार पायलट हैं लेकिन इसमें किसी महिला पायलट को शामिल नहीं किया गया है। टेस्ट पायलट ज्यादातर कुशल एविएटर होते हैं। जिन्हें विशेष कौशल के लिए जाना जाता है। इमरजेंसी के दौरान खुद को शांत रखते हुए मिशन पर डटे रहना यह उनमें से एक खूबी है। इन्हें सर्वश्रेष्ठ एयर वारियर्स भी कहा जाता है। इसरो के चीफ खुद एस सोमनाथ का कहना है कि उन्हें आने वाले समय में महिला अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष मिशन के लिए भेजने में खुशी होगी। उन्होंने कहा भारत को मिशन पूरा करने वाले लोगों की जरूरत होगी। महिलाएं उसी भूमिका में शामिल हो सकती हैं। और उन्हें किया भी जा सकता है लेकिन गगनयान  मिशन (Gaganyaan Mission) के पहले कुछ मिशन में उन चालक दल को भेजा जाएगा जिन्हें चुना गया है और फाइनलाइज भी किया गया है। 

(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)

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