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बॉलीवुड का 'डबल मीनिंग' गाना! आज भी आप नहीं गा सकते

क्या आपको याद है बॉलीवुड के इतिहास का वो दौर जब एक गाना रिलीज़ हुआ और उसने पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया था? एक ऐसा गीत जिसके बोल और दृश्यों पर इतनी तीखी बहस छिड़ी कि सेंसर बोर्ड से लेकर आम जनता तक, सबने उस पर अपनी राय रखी। आप शायद सोच रहे होंगे कि मैं किस गाने की बात कर रहा हूँ – क्या वह कोई ऐसा गीत था जो अश्लील था, या क्या उसके बोल किसी की भावनाओं को आहत करने वाले थे? यह सिर्फ एक गाना नहीं, बल्कि एक सामाजिक बयान बन गया था, जिसने रूढ़िवादी सोच और आधुनिक विचारों के बीच की खाई को उजागर किया। आज भी जब यह गाना कहीं बजता है, तो कुछ लोग असहज हो जाते हैं, जबकि कुछ उसे एक साहसिक कलाकृति मानते हैं। तो आइए, जानते हैं इस रहस्यमयी गीत की पूरी कहानी और समझते हैं कि क्यों यह बॉलीवुड के सबसे **विवादित गानों** में से एक बन गया।

बॉलीवुड का 'डबल मीनिंग' गाना! आज भी आप नहीं गा सकते

गाने का नाम और क्यों मचा था बवाल?

बॉलीवुड में ऐसे कई गाने हैं जिन्होंने अपनी अनूठी धुनों या दिल छू लेने वाले बोलों से लोगों के दिलों में जगह बनाई है। लेकिन कुछ गाने ऐसे भी रहे हैं जो अपनी सीमा से हटकर कुछ ऐसा कर गए कि वे सीधे विवादों के घेरे में आ गए। हम यहाँ 1993 में रिलीज़ हुई फिल्म 'खलनायक' के बेहद लोकप्रिय गाने गुपचुप गुपचुप गुपचुप की बात कर रहे हैं। इस गाने ने अपने रिलीज़ के समय भारतीय समाज में तूफान ला दिया था। इसके बोलों को 'अश्लील' और 'अभद्र' बताया गया, और दूरदर्शन जैसे राष्ट्रीय चैनलों पर इसके प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठने लगी थी।



गाना माधुरी दीक्षित और नीना गुप्ता पर फिल्माया गया था, जिसमें माधुरी दीक्षित के बोल्ड मूव्स और नीना गुप्ता के किरदार द्वारा गाए गए बोल, "चोली के पीछे क्या है, चोली में दिल है मेरा" ने खासी सुर्खियां बटोरीं। आलोचकों का मानना था कि यह गाना महिलाओं के प्रति अनादर दर्शाता है और अश्लीलता को बढ़ावा देता है। हालांकि, गीतकार आनंद बख्शी और निर्देशक सुभाष घई ने हमेशा यह तर्क दिया कि गाने का संदर्भ और उद्देश्य समझने की ज़रूरत है, न कि केवल शाब्दिक अर्थ पर अटकने की।

एक बार इस गाने को आंख बंद करके सुने ! फिर हमे कमेंट में बताये। क्या ये सही गाना है ? 

Play Song
गुपचुप गुपचुप गुपचुप
ला.म्बा ला.म्बा घूंघट काहे को डाला
क्या कहीं कर आई तू मुँह काला रे
कानों में बतियां करती हैं सखियां
रात किया रे तूने कैसा घोटाला

छत पे सोया था बहनोई मैं तन्ने समझ कर सो गई
मुझको राणा जी माफ़ करना गलती म्हारे से हो गई

 
वो बहनोई था बहनोई ठहरा
क्यों न पहचाना तूने पिया जी का चेहरा
बहनोई ने ओढ़ रखी थी चादर
मैं समझी पिया का है बिस्तर
आधे बिस्तर पे वो सोया था आधे पे मैं सो गई
मुझको राणा जी माफ़ ...

दीपक अटारी पे जलता तो होगा
छिटकी तो होगी छत पे चंदनिया
अपनो परायो नज़र न आयो
भूल कैसे हो गई तुझसे दुलरिया

भूल हुई मुझसे तो कैसा अचम्भा
बहनोई था पिया जितना लम्बा
चूर थी मैं दिन भर की थकन से
पड़ते ही बिस्तर पे सो गई
मुझको राणा जी माफ़ ...

सोच रहे थे हम सब जैसा
तूने किया नहीं कुछ वैसा
मुखड़े पे तेरे सच का उजाला
रात किया नहीं मुँह तूने काला

विवाद के मूल कारण: बोल और सामाजिक धारणा

इस गाने पर विवाद मुख्य रूप से इसके सीधे और मुखर बोलों के कारण हुआ था। "चोली के पीछे क्या है" जैसे वाक्यांशों को उस समय के भारतीय समाज में सार्वजनिक रूप से इस्तेमाल करना बहुत ही अजीब और आपत्तिजनक माना जाता था। उस दौर में भारतीय सिनेमा में ऐसी सीधी भाषा का प्रयोग बहुत कम होता था, खासकर जब बात महिलाओं से जुड़े विषयों की हो।

  • रूढ़िवादी दृष्टिकोण: भारतीय समाज हमेशा से अपनी संस्कृति और परंपराओं को लेकर संवेदनशील रहा है। 90 के दशक में, आज की तुलना में सामाजिक रूढ़िवादिता अधिक प्रबल थी। ऐसे में, यह गाना कई लोगों को अपनी सांस्कृतिक और नैतिक सीमाओं का उल्लंघन लगा।
  • माधुरी दीक्षित की छवि: माधुरी दीक्षित उस समय की सबसे बड़ी और सम्मानित अभिनेत्रियों में से थीं, जिनकी छवि बहुत ही शालीन और मर्यादित मानी जाती थी। उनके इस गाने में ऐसे बोलों और डांस मूव्स में शामिल होने से उनके प्रशंसकों को भी झटका लगा, और कई लोगों ने इसे उनकी छवि के विपरीत माना।
  • मीडिया और सामाजिक संगठनों की भूमिका: कई महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस गाने के खिलाफ आवाज़ उठाई। उन्होंने इसे महिला विरोधी और अपमानजनक बताया। मीडिया ने भी इस विवाद को खूब हवा दी, जिससे यह गाना और भी चर्चा में आ गया।

गाना: कला या अश्लीलता?

विवाद के बीच, इस बात पर भी बहस छिड़ी कि क्या यह गाना केवल अश्लील है या इसमें कोई कलात्मक मूल्य भी है।

  • कलात्मक दृष्टिकोण: निर्देशक सुभाष घई ने हमेशा यह दावा किया कि यह गाना फिल्म के संदर्भ में बिल्कुल फिट बैठता है। उनका तर्क था कि गाना एक डाकू के गिरोह के सामने एक महिला द्वारा अपनी पहचान छुपाने और उन्हें उकसाने के लिए गाया गया था। इसमें छिपे हुए अर्थ थे और यह केवल सतही अश्लीलता नहीं थी। गाने में एक पहेली और उसके पीछे की सच्चाई को उजागर करने का प्रयास था।
  • संगीत और कोरियोग्राफी: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का संगीत और सरोज खान की कोरियोग्राफी ने इस गाने को एक अलग ही पहचान दी। माधुरी दीक्षित के डांस मूव्स आज भी क्लासिक माने जाते हैं। इस गाने का संगीत इतना आकर्षक था कि यह विवादों के बावजूद चार्टबस्टर बन गया।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: कई लोगों ने इसे कलात्मक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला बताया। उनका तर्क था कि कला को समाज की रूढ़िवादी सोच से परे जाकर अपनी बात कहने का अधिकार है।

समय के साथ गाने की स्वीकार्यता और विरासत

जैसे-जैसे समय बीतता गया, **'चोली के पीछे क्या है'** गाने पर विवाद थोड़ा कम हुआ, लेकिन यह कभी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ। आज भी यह गाना पार्टीज़ और शादियों में खूब बजता है, और इसके हुक स्टेप्स को खूब पसंद किया जाता है। हालाँकि, आज भी कुछ लोग इसके बोलों को लेकर असहज महसूस करते हैं।

इस गाने ने बॉलीवुड के लिए एक नया ट्रेंड भी सेट किया। इसके बाद कई फिल्मों में ऐसे गाने आए जिनमें पहले से ज़्यादा बोल्डनेस और मुखरता देखने को मिली। यह गाना इस बात का उदाहरण बन गया कि कैसे एक गीत सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक बहस और बदलाव का ज़रिया भी बन सकता है। इसे अब बॉलीवुड के इतिहास के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखा जाता है, जिसने सेंसरशिप, कलात्मक स्वतंत्रता और सार्वजनिक नैतिकता की बहस को छेड़ा।

यह गाना आज भी **बॉलीवुड के सबसे यादगार और विवादास्पद गीतों** में से एक है। इसकी विरासत इस बात में है कि इसने भारतीय समाज और सिनेमा के बीच की रेखाओं को धुंधला कर दिया, और हमें यह सोचने पर मजबूर किया कि क्या कला की कोई सीमा होनी चाहिए या उसे हर तरह की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

अस्वीकरण (Disclaimer):

इस लेख में व्यक्त विचार और विश्लेषण विशुद्ध रूप से लेखक के अपने हैं और किसी भी समुदाय या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का इरादा नहीं रखते हैं। यह लेख केवल सूचनात्मक और ऐतिहासिक संदर्भ के लिए लिखा गया है, जिसका उद्देश्य बॉलीवुड में गीत-संगीत से जुड़े विवादों और सामाजिक प्रतिक्रियाओं पर प्रकाश डालना है। हम किसी भी रूप में किसी भी प्रकार की अभद्र या अश्लील सामग्री का समर्थन नहीं करते हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस लेख को केवल शैक्षिक और मनोरंजन के उद्देश्य से देखें।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) 'गुप चुप गुप चुप' गाना किस फिल्म का हिस्सा है? यह गाना ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फिल्म 'करन अर्जुन' (1995) का एक बहुत ही लोकप्रिय गीत है, जिसमें शाहरुख खान, सलमान खान, राखी गुलज़ार, काजोल और ममता कुलकर्णी मुख्य भूमिकाओं में थे।
इस गाने को किन गायकों ने अपनी आवाज़ दी है?
'गुप चुप गुप चुप' गाने को प्रसिद्ध गायक **अलका याग्निक** और **इला अरुण** ने गाया है। उनकी जुगलबंदी ने इस गाने को एक अनोखा और यादगार अंदाज़ दिया।
गाने में कौन से कलाकार परफॉरमेंस करते हुए दिखते हैं?
यह गाना मुख्य रूप से अभिनेत्री **ममता कुलकर्णी** पर फिल्माया गया है, जिसमें वह अपने डांस मूव्स से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करती हैं।
'गुप चुप गुप चुप' गाने का संगीत किसने तैयार किया है?
इस गाने का मधुर संगीत मशहूर संगीतकार **राजेश रोशन** ने तैयार किया है, जिन्होंने 'करन अर्जुन' के लिए कई हिट गाने दिए।
यह गाना क्यों इतना लोकप्रिय हुआ और आज भी पसंद किया जाता है?
'गुप चुप गुप चुप' अपनी **कैची ट्यून, अनोखे बोल** और ममता कुलकर्णी के **ऊर्जावान डांस** के कारण बहुत लोकप्रिय हुआ। यह आज भी शादियों, पार्टियों और डांस इवेंट्स में खूब पसंद किया जाता है क्योंकि इसकी धुन और ताल पर लोग झूमने को मजबूर हो जाते हैं।

(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)

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