Election Commission क्यों रद्द कर देता है उम्मीदवारों का नामांकन ?
18वीं लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है। 19 अप्रैल से लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है। 19 अप्रैल से ही मतदान शुरू होगा और आखिरी वोटिंग 1 जून को होगी। ऐसे में प्रत्याशियों की नामांकन भरने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
पहले चरण के बाद चुनाव के लिए दूसरे चरण के नामांकन की प्रक्रिया भी 28 मार्च से ही जारी है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक गलती होते ही उम्मीदवार का पचा रद्द हो सकता है?
क्या होती है नामांकन की प्रक्रिया ?क्या कोई भी इंसान पर्चा दाखिल कर सकता है या नहीं ?
उम्मीदवार का पचा कहा भरना होता है?
लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही हर जिले में डीएम यानी जिला अधिकारी की भूमिका बढ़ जाती है। वही जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में काम करते हैं। आयोग तारीखों की घोषणा करता है तो हर जिले में अलग से डीएम चुनाव की घोषणा करते हैं या अधिसूचना जारी करते हैं। इसके लिए वह बकायदा प्रेस नोट जारी कर सबको सूचित करते हैं कि जिले में नामांकन कब से होगा। तारीख घोषित हो जाने के बाद कोई भी भारतीय नागरिक नामांकन पत्र भरकर चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी कर सकता है।
क्या होती है नामांकन की प्रक्रिया ?
इसके लिए शर्त इतनी ही होती है कि उसका नाम मतदाता सूची में जरूर होना चाहिए। बाकी सारी योग्यता तो निर्धारित ही है। इसके लिए बकायदा काउंटर बनाए जाते हैं और निर्धारित शुल्क चुकाना होता है। इस नामांकन पत्र को भरकर दूसरे दस्तावेजों के साथ दाखिल भी करना होता है। नामांकन के साथ तय जमानत राशि भी जमा करनी होती है। नामांकन पत्र के साथ ही अनु उम्मीद वार को नोटरी स्तर पर बनवाया गया एक शपथ पत्र भी देना होता है। इसमें अपनी आय व्यय का पूरा ब्यौरा दे दिया जाता है। शैक्षिक योग्यता की जानकारी देनी होती है। पासपोर्ट साइज की फोटो आधार कार्ड, पैन कार्ड, मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी भी साथ में लगानी होती है। इसके अलावा प्रत्याशी को नामांकन पत्र में ही अपनी चल अचल संपत्ति और परिवार की संपत्ति की भी जानकारी देनी होती है।
नामांकन पात्र भरने के बाद क्या होता है?
एक बार नामांकन पत्र दाखिल कर दिया जाता है तो चुनाव आयोग प्रत्याशी के सभी दस्तावेजों की जांच करता है। इसमें दी गई हर जानकारी की बारीकी से पड़ताल होती है। इस पूरी प्रक्रिया को स्क्रूटनी कहा जाता है। नामांकन के बाद आयोग की तरफ से तय तारीख तक प्रत्याशी चुनाव से अपना नाम वापस भी ले सकता है। चुनाव आयोग का कहना है कि नामांकन पत्र को ठीक तरीके से भरा जाना चाहिए। इसमें कुछ भी गलती निकलती है तो ऐसे नामांकन पत्र अवैध माने जाते हैं। और उम्मीदवारी भी रद्द की जा सकती है। सभी दस्तावेज सही पाए जाने पर चुनाव आयोग उम्मीदवारों को सिंबल जारी करता है। और इसके लिए राजनीतिक पार्टियां अपने उम्मीदवारों को टिकट देती हैं।
नामांकन पत्र का चकासनी के बाद कब सिम्बल दिया जाता है?
नामांकन के दौरान ही उम्मीदवार अपनी पार्टी की ओर से सिंबल दिए जाने के दस्तावेज भी जमा करवाता है। जिससे उन्हें इसी संबंधित पार्टी का चुनाव चिन्ह दिया जाता है। निर्दलीयों को मुक्त चुनाव चिन्ह में से कोई एक आवंटित किया जाता है। चुनाव चिन्ह आवंटित होने के बाद प्रत्याशी चुनाव प्रचार शुरू कर सकते हैं।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)
Post a Comment