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कैसे हमारे द्वारा दिए गए वोटों की गिनती होती है ? How are votes counted after the election?



आखिर कैसे हमारे द्वारा दिए गए वोटों की गिनती होती है ? क्या वोटों की गिनती के वक्त धोखाधड़ी की जा सकती है ?
How are votes counted after the election?

दोस्तों देश में जोरों शोरों से चुनाव का माहौल चल रहा है और हमें पूरा यकीन है कि आपने भी वोट दिया होगा। ऐसे में आप जिस ईवीएम मशीन पर बटन दबाकर वोट डालते हैं उसके बारे में आपको कितना ना पता है। और सबसे बड़ा सवाल कि चुनाव के बाद होने वाले वोटों की गिनती के बारे में आपको क्या मालूम है। क्योंकि दोस्तों यकीन मानिए जब आपको यह पूरा प्रोसेस पता चलेगा तो आप हैरान हो जाओगे। 

सबसे पहले दोस्तों ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन। इसका विचार सबसे पहले 70 के दशक में आया था। ताकि जो वोटर्स हैं वह बिना किसी दिक्कत के सही तरीके से अपना वोट डाल सके। और जो नकली वोट होते हैं जिसमें प्रॉक्सी वोटिंग होती है जो अवैध वोटिंग होती होती है उससे पूरी तरह से छुटकारा मिल जाए। और इसीलिए सांसद ने 1988 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में एक नई धारा को जोड़ा और वोटिंग मशीन के इस्तेमाल के लिए चुनाव आयोग को मंजूरी दे दी गई। केंद्र सरकार ने जनवरी 1990 में चुनाव सुधार समिति का गठन किया। जिसमें नेशनल और स्टेट लेवल की पॉलिटिकल पार्टीज के रिप्रेजेंटेटिव शामिल थे और इसी समिति में उन के सामने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का आकलन किया गया और एक स्पेशलिस्ट कम्युनिटी का गठन किया गया जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया कि ईवीएम एक बहुत ही सुरक्षित प्रणाली है। फिर साल 1998 में ईवीएम के प्रयोग पर एक समिति बनी। इसके बाद इस मशीन का इस्तेमाल मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 25 विधानसभा कंसीट के लिए इस्तेमाल किया गया। उसके बाद जितने बार भी चुनाव हुए उसमें ईवीएम का इस्तेमाल पूरे तर तरीके से होने लगा। हालांकि इसके इस्तेमाल को लेकर कई सारे सवाल भी उठे। लेकिन चुनाव आयोग ने इसे पूरी तरह से सुरक्षित बताया।

असल में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन एक स्टैंड अलोन मशीन होती है। जिसका मतलब है कि इसमें हर मशीन की अपनी महत्वता होती है। यह कोई ऐसी मशीन नहीं है कि आपने एक मशीन से तार जोड़ा तो सारी मशीनें कनेक्ट हो जाएंगी। यहां पर एक मशीन अलग काम करेगी दूसरी अलग काम करेगी तीसरी अलग यानी जितनी मशीनें हैं उन सभी का सिस्टम अलग-अलग होगा। ऐसा नहीं होगा कि एक से छेड़छाड़ हुई तो सबसे छेड़छाड़ की जा सकती है। साथ ही इन मशीनों को चलाने के लिए ब्लूटूथ, इलेक्ट्रिसिटी या इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं होता है बल्कि इनमें अल्कलाइन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मशीनों के सॉफ्टवेयर को वन टाइम प्रोग्राम यानी मास्क चिप का रूप दिया जाता है ताकि किसी भी तरह के फेर बदल की संभावना ना हो। 

दोस्तों ईवीएम को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा तैयार किया जाता है। इन कंपनियों का एक चुनिंदा समूह होता है जो इन मशीनों को बड़ी आसानी पूर्वक सावधानी पूर्वक और खुफिया तरीके से विकसित करता है। 

दोस्तों बदलते समय के साथ ईवीएम में कई सारे फंक्शंस को जोड़ा गया। जहां बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट के बीच में एक रिकॉर्डिंग की गई। रियल टाइम घड़ी लगाई गई जिस पर सिस्टम लगाया गया। ईवीएम पर हर बार बटन दबाने पर तारीख और समय का अंकित होना यह सभी चीजें होने लगी। अब तो वीवी पैड का इस्तेमाल भी होने लगा है जिसमें वोटर द्वारा वोट किए गए कैंडिडेट का नाम एक स्लिप में निकल कर आता है और कुछ सेकंड्स के लिए वोटर को दिखाई देता है। दोस्तों इन्हीं सारी चीजों का इस्तेमाल करके हम वोट देते हैं और राजनीतिक दलों की किस्मत बदल देते हैं। 

यहां पर जो सबसे बड़ा सवाल है वह यह कि जब हम वोट देते हैं उसके बाद वोटों की गिनती कैसे होती है ?


असल में जो इलेक्टोरल एरिया होता है यानी जो निर्वाचन क्षेत्र होता है उसमें एक काउंटिंग हॉल होता है। उस काउंटिंग हॉल में 14-14 टेबल लगाई जाती है और हर एक टेबल पर एक बूथ की ईवीएम मशीन रखी जाती है। किस टेबल पर कौन सी मशीन रखी जाएगी इसके लिए पहले से एक चार्ट तैयार कर लिया जाता है और फिर वहां पर अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवारों को भी शामिल किया जाता है ताकि बाद में कोई भी पार्टी वोटों की गिनती को लेकर सवाल ना खड़ा करें। वोटों की गिनती से पहले पार्टियों के उम्मीदवारों के सामने ईवीएम में लगी सील खोली जाती है और फिर रिजल्ट वन का बटन दबाया जाता है जिसमें पता लगता है कि किस कैंडिडेट के पक्ष में कितने वोट आए हैं। उनके नाम के सामने वह वोट दिखे हुए मिलते हैं और यह चीज सभी के सामने डिस्प्ले की जाती है ताकि जो उम्मीदवारों के एजेंट वहां पर मौजूद है और जो कर्मचारी काउंटिंग में लगे हुए हैं उन सबको पूरी जानकारी हो। 

दोस्तों रिजल्ट बटन दबाने पर जो संख्या देखने को मिलती है उसे फॉर्म पर दर्ज करना होता है। इस फॉर्म पर उम्मीदवारों के एजेंट सिग्नेचर करते हैं और फिर इस फॉर्म को रिटर्निंग ऑफिसर को सौंप दिया जाता है। जब सभी 14 टेबल से फॉर्म इकट्ठे हो जाते हैं तो रिटर्निंग ऑफिसर के पास सभी फॉर्म रखे जाते हैं और फिर रिटर्निंग ऑफिसर हर राउंड में वोटों की गिनती दर्ज करता है और फिर जो रिजल्ट सामने आता है। उसे ब्लैकबर्ड पर लिखा जाता है। लाउड स्पीकर की मदद से इसकी घोषणा भी होती है। 

हर राउंड के बाद नतीजे के बारे में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सूचना दी जाती है और यह प्रोसेस वोटों की गिनती खत्म होने तक चलती रहती है। 

जब पहले चरण की गिनती पूरी हो जाती है तो चुनाव अधिकारी 2 मिनट का इंतजार करता है ताकि अगर किसी कैंडिडेट या उसके एजेंट को गिनती से जुड़ी कोई भी आपत्ति हो तो वह इस दौरान दर्ज करवा दे। जब यह काम हो जाता है तो वोटों की गिनती का मिलान वीवी पैड से की जाता है और फिर उसे चुनाव अधिकारी के पास भेज दिया जाता है। 

दोस्तों आज तक ऐसा कभी नहीं देखा गया जिसमें ईवीएम और वीवीपैट के आंकड़ों में कोई अंतर हो और अगर कोई फर्क पाया गया तो वीवीपैट की संख्या को अंतिम माना जाएगा। 

दोस्तों जहां पर वोटों की गिनती होती है वहां चुनाव अधिकारी, मतगणना कर्मी, कैंडिडेट्स, उनके एजेंट्स, ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी और बहुत से अधिकारी मौजूद होते हैं और उन्हीं की मौजूदगी में वोटों की गिनती होती है। वहीं अगर हम सुरक्षा की बात करें तो मतगणना केंद्र के अंदर मोबाइल फोन तक इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है और यहां की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सुरक्षा बलों और राज्य पुलिस की होती है। 

सबसे खास बात यह कि इस पूरे प्रोसेस की वीडियो रिकॉर्डिंग भी होती है और सभी 14 ईवीएम एक साथ खुलते हैं। सभी में एक साथ पहले राउंड चलता है और सभी के फॉर्म को भरकर रिटर्निंग ऑफिसर तक पहुंचाया जाता है। यहां पर जब तक गिनती पूरी नहीं हो जाती यह राउंड इसी तरह चलते रहते हैं और तब जाकर हमें फाइनल रिजल्ट मिलता है और इस रिजल्ट से पता चलता है कि चुनाव में किसे हार का मुंह देखना पड़ा और कौन बाजी मार ले गया। 

दोस्तों अगर हम ईवीएम पर उठने वाले सवालों की बात करें तो ये इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को कोई हैक नहीं कर सकता। जहां हर मशीन का अलग सिस्टम होता है इसलिए अगर कोई एक मशीन के साथ गड़बड़ी करता है तो बाकी की मशीनों पर उसका कोई असर नहीं होगा और इसी तरह वोटिंग के प्रोसेस को ना केवल आसान बना दिया गया है बल्कि बहुत ही ज्यादा सुरक्षित भी बनाया गया है। जिसके जरिए एक बटन दबाते वोटों की गिनती हो जाती है और कोई भी फेरबदल की गुंजाइश ना के बराबर होती है। उम्मीद है आपको सब कुछ समझ आ गया होगा। 

(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) Share
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