10 जून को मोदी 3.0 सरकार में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो गया। गठबंधन के प्रेशर के बावजूद सबसे ताकतवर माने जाने वाले चार मंत्रालयों में कोई फेरबदल नहीं हुआ। गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय के मुख्या वही है जो मोदी 2.0 में थे। प्रधानमंत्री समेत यह चारों मंत्री कैबिनेट कमेटी का हिस्सा होते हैं। जो सरकार के सभी बड़े फैसले करती है। इनके अलावा सरकार में अहम माने जाने वाले कृषि मंत्रालय शिवराज सिंह चौहान को सौंपा गया है। किसी भी सरकार में यह पांचों मंत्रालय कितनी अहमियत रखते हैं इस आर्टिकल में यही चर्चा करेंगे।
सबसे पहले बात करते हैं गृह मंत्रालय की।
गृह मंत्रालय के स्ट्रक्चर की बात करें तो इसमें एक कैबिनेट मंत्री होता है जिसे गृह मंत्री कहा जाता है। साल 2019 से यह जिम्मेदारी अमित शाह संभाल रहे हैं। इनकी मदद के लिए दो राज्य मंत्री हैं इनके नाम नित्यानंद राय और बंदी संजय कुमार हैं। गृह मंत्रालय के सालाना बजट की बात की जाए तो यह 2.03 लाख करोड़ रुपए है। कुल बजट में इसकी हिस्सेदारी 4.2 % है। गृह मंत्रालय के अंतर्गत छह विभाग आते हैं। इनमें आंतरिक सुरक्षा विभाग, गृह विभाग, सीमा सुरक्षा विभाग, राजभाषा विभाग, राज्य और केंद्र संबंध विभाग शामिल है।
इसके अलावा जम्मूकश्मीर मामलों के लिए एक अलग विभाग है। प्रधानमंत्री के बाद सबसे मजबूत ग्रह मंत्री। अगर देश के प्रधानमंत्री किसी भी वजह से अपने ऑफिस में मौजूद नहीं है तो गृहमंत्री के पास उनकी सारी शक्तियां होती हैं यानी अगर प्रधानमंत्री मोदी विदेश दौरे पर हैं तो गृहमंत्री उनकी जगह कैबिनेट की मीटिंग बुला सकते हैं साथ ही सारे फैसले भी ले सकते हैं। जब देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की नियुक्ति होती है तो इसकी अधिसूचना गृह मंत्रालय जारी करता है। इसके लिए अलग से गृह विभाग बनाया गया है।
इनके अलावा प्रधानमंत्री कैबिनेट मंत्री और राज्यों के राज्य वालों की नियुक्ति और इस्तीफे की अधिसूचना भी गृह विभाग जारी करता है। आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम, जमीनी समुद्री और हवाई सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी, सीमा पर फेंसिंग बाड़े बंदी करनी हो सड़क या हवाई जहाजों के लिए रनवे बनाना हो गृह मंत्रालय का बॉर्डर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट यह सब करता है। सेंट्रल आर्म पुलिस फोर्सेस, असम राइफल्स, बीएसएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एनएसजी और एसएसबी इन की तैनाती और सैलरी से लेकर पूरा मैनेजमेंट गृह मंत्रालय देखता है। इसके लिए अलग से इनटरनल सिक्योरिटी डिपार्टमेंट बनाया गया है।
आतंकवाद से जुड़े मामले हो, सैनिकों का पुनर्वास, देश भर में मानव अधिकार के मामले देखने के लिए अलग-अलग संस्थाएं बनाई गई हैं, लेकिन इन संस्थाओं का सर्वेसर्वा गृह मंत्रालय ही है। जेएंडके और लद्दाख के लिए अलग विभाग, सीमाई इलाके जम्मू कश्मीर और लद्दाख की सुरक्षा से जुड़े सारे निर्णय गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। गृह मंत्रालय के अधीन जम्मूकश्मीर और लद्दाख मामलों का विभाग है। इसमें जूनियर सेक्रेटरी समेत 21 अधिकारी होते हैं। यह विभाग आतंकी हमले में मारे गए लोगों को मुआवजा देने, कश्मीरी प्रवासियों के लिए पुनर्वास की योजनाएं बनाने की जिम्मेदारी रखता है।
पाकिस्तान, एलओसी और चीन एलएसी के साथ लगी सीमा की सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़े मामले भी यही विभाग देखता है। इन इलाकों में किसी भी तरह का डेवलपमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार से जुड़े मामले भी इसी विभाग की जिम्मेदारी है।
केंद्र और राज्यों के बीच समन्य
केंद्र और राज्यों के बीच आपसी सहयोग बनाए रखने की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय की होती है। किन्हीं दो राज्यों के बीच अगर विवाद की स्थिति है तो उसका निपटारा भी गृह मंत्रालय करता है। राज्यों में अगर किसी मुद्दे पर बड़े पैमाने पर कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो गृह मंत्रालय राज्य के प्रशासन और पुलिस को निर्देश दे सकता है यानी आंतरिक सुरक्षा के मामले में गृह मंत्रालय को राज्य की शक्तियों में दखल देने का अधिकार है। वहीं राज्यों की पुलिस भले ही राज्य सरकार के अधीन काम करती हो लेकिन देश का गृह मंत्रालय किसी भी राज्य में तैनात आईपीएस अधिकारियों को तलब कर सकता है। इसके अलावा गृह मंत्रालय किसी राज्य की पुलिस के लिए नए सुधार कानून भी बना सकता है।
देश की जनसंख्या की जनगणना की प्रक्रिया भी गृह मंत्रालय के निर्देश पर होती है। कोई भी राज्य सरकार जनगणना की प्रक्रिया से इंकार नहीं कर सकती। देखा जाए तो गृह मंत्रालय किसी भी सरकार का सबसे अहम हिस्सा है। इस पर कानून का शासन बनाए रखने, सीमा सुरक्षा, जनगणना और पैरामिलिट्री फोर्सेस की जिम्मेदारी होती है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने होम मिनिस्टर का पोर्टफोलियो अपने सबसे भरोसेमंद साथी अमित शाह को दिया है।
बीती सरकार में भी अमित शाह इस विभाग की जिम्मेदारी संभाले हुए थे। उनके अगुवाई में ही गृह मंत्रालय ने जम्मूकश्मीर से धारा 370 हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी। साथ ही सीएए जैसे कानून लागू किए थे। सीएए के तहत पाकिस्तान बांग्लादेश म्यानमार से आए अल्पसंख्यक हिंदू शरणार्थियों को नागरिक प्रमाण पत्र भी गृह मंत्रालय ही जारी करता है।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) Share
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