बांग्लादेश में सियासी गहमागहमी के बीच नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस का नाम बार-बार सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वह देश से मशहूर अर्थशास्त्री और नोबल पुरस्कार विजेता हैं। फिलहाल पीएम पद को लेकर उनके नाम पर चर्चा तेज है।
आइए जानते हैं कि आखिर नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कौन है ?
यूनुस को 2006 में नोबल शांति पुरस्कार मिला। उन्हें ग्रामीण बैंक के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में माइक्रो क्रेडिट यानी गरीबों को बिना जमानत के छोटे-छोटे लोन देने की शुरुआत की। इसलिए उन्हें बांग्लादेश के गरीबों का मसीहा माना गया। उनके इस मॉडल को जबरदस्त सफलता मिली और अब इसे पूरी दुनिया अपना रही है।
गरीब महिलाओं के सशक्तीकरण में भी उनकी भूमिका को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। मोहम्मद यूनुस का जन्म 28 जून 1940 को पूर्वी बंगाल जो बांग्लादेश के चटगांव में है वहां हुआ था। उन्होंने ढाका यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की। चटगांव यूनिवर्सिटी में 1961 से 1965 तक इकोनॉमिक्स पढ़ाया और इसके बाद उन्हें अमेरिका के फुल ब्राइड स्कॉलरशिप मिल गई। उन्होंने अमेरिका के वंडर बिल्ड यूनिवर्सिटी में 1965 से 1972 तक पढ़ाई की और टीचिंग की और 1969 में इकोनॉमिक्स में पीएचडी की उपाधि मिली। इसके बाद वह चटगांव यूनिवर्सिटी लौट आए। जहां उन्हें 1972 में इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट का हेड बनाया गया।
ग्रामीण बैंक की स्थापना 1983 में हुई थी। उन्होंने साल 2007 में एक राजनीतिक दल नागोरिक शक्ति बनाकर राजनीति में उतरने का ऐलान भी किया। लेकिन बाद में उन्होंने अपना मन बदल लिया।
आपको बताते चलें कि कवि शेख हसीना के पिता मुजीबुर रहमान के खास और कट्टर समर्थक रहे यूनुस शेख हसीना के भी खास थे। कभी शेख हसीना ने यूनुस की खूब तारीफ भी की थी और दुनिया से गरीबी हटाने वाला शख्स भी बताया था। अर्थशास्त्र के धाकड़ जानकार यूनुस ने टेनेसी में पढ़ाने के दौरान बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक अखबार भी लच किया था। उसके बाद उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया। जिसके बाद शेख हसीना से उनके संबंध बिगड़े। जो शेख हसीना उनकी तारीफ किया करती थी उनसे ही यूनुस की अदावत शुरू हो गई। इसका हासिल यह हुआ कि उस पर 100 से भी ज्यादा केस दर्ज हो गए और उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट ने 6 महीने तक जेल की सजा सुनाई।
मोहम्मद यूनुस जो पिता के कट्टर समर्थक थे उन्हें बेटी शेख हसीना ने अपना दुश्मन बना लिया। यूनुस का मानना था कि शेख हसीना लोकतंत्र की कातिल है और भारत की शह पर तानाशाह नकर बांग्लादेश की सत्ता को जबरदस्ती हथिया लिया है। उनकी इसी सोच और अपनी नई पार्टी के गठन के बाद हसीना और यूनुस के बीच की दुश्मनी बढ़ती ही चली गई और व नेताओं की आंखों में भी खटक ने लगे थे। शेख हसीना को यूनुस से खुद के लिए राजनीति का खतरा महसूस होने लगा।
शेख हसीना यूनुस को विदेशी ताकतों की कठपुतली बताने लगी और उन पर कई तरह के इल्जाम भी लगाती रही। इसका सबसे बड़ा असर यह हुआ कि साल 2012 में वर्ल्ड बैंक ने पद्मा नदी पर पुल बनाने के लिए चंदा देने से इंकार कर दिया। इससे हसीना को लगा कि यह काम यूनुस का है और वह इतनी खफा हुई कि उन्होंने कह दिया कि यूनुस ने अपने संबंधों का इस्तेमाल कर वर्ल्ड बैंक को गुमराह किया। यूनुस को जान से मारने की धमकियां मिलने लगी और वह अपने परिवार के साथ ढाका के अमेरिकी दूतावास में छिपे रहे।
आपको बताते चलें कि यूनुस के नाम कई सम्मान भी है।
- 1998 में यूनेस्को ग्रामीण बैंक के संस्थापक के रूप में इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
- वहीं फिलाडेल्फिया में वाटन स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा पिछले 25 सालों के 25 प्रतिभाशाली व्यवसायिक व्यक्तियों में से एक के तौर में भी उन्हें चुना गया था।
- टाइम मैगजीन ने 2006 में उन्हें 60 साल के एशिया नायकों में शामिल किया।
- 2009 में यूनुस को स्लोवाक गणराज्य की तरफ से स्लोवाकिया के द्वारा दिए जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कार गोल्डन बायोटेक प्रदान किया गया।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) RRR
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