भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बिहार के एकमात्र वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में सांप की एक नई प्रजाति की खोज की गई है. जो देश ही नहीं दुनिया में एक अजूबा और अनोखा है। इन्हीं कबीलों में से एक है अहितुल्ला. हरे रंग के इस सांप की 20 प्रजातियां पहले देखी जा चुकी हैं, लेकिन सांपों की दुनिया में एक नए सांप ने दस्तक दे दी है। जो भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा. इसीलिए विशेषज्ञ इसे गौरव का क्षण मान रहे हैं.
दरअसल, अहितुल्ला सांपों की अब तक 20 प्रजातियां देखी जा चुकी हैं। लेकिन साल 2021 में सांप की एक नई प्रजाति की खोज हुई. जिसे अहितुल्लाह लोंगे रोस्ट्रेस के नाम से जाना जाता है। इसलिए उन्होंने सांपों की प्रजाति को बढ़ाकर 21 कर दिया है.
दरअसल हमारे देश में सांपों की लगभग 300 प्रजातियां हैं। एक साँप विशेषज्ञ का कहना है कि "वाइन स्नेक की कुल 20 प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें से 13 भारत में पाई जाती हैं, या वाल्मिकी के परिपेक्ष में अगर हम बात करें तो वाल्मिकी में इसके पहले एक प्रति का साँप पाया जाता था। जिस्को अभी करंट मैं दो हो गया हूं। इसके पहले जाता था एटुला लोडानकिया और अभी करंट में मिला हे एहेतुला लंबी रोस्ट मिला करके दो हो गए वाल्मिकी में टाइगर रिजर्व के लिए काफी गौरव की बात है, क्योंकि यहां जैव विविधता उतनी अच्छी नहीं थी, इसके पहले हम लोगों ने बिहार के लिए पहला रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन ये जो साम मिला काफी अनोखा है, वो शुद्ध अहतूला जीनियस के लिए ये एक तरह है। से नया संस्करण है 21 साल का।”
बताया जा रहा है कि 16 दिसंबर 2021 को ग्रामीणों की सूचना पर एक वन जीवविज्ञानी को बिहार के वाल्मिकी टाइगर रिजर्व अंतर्गत वन प्रमंडल द्वितीय के गोनौली क्षेत्र में एक हरा सांप मिला. वहां एक शव था जिसके शरीर पर कोई चोट का निशान नहीं था. जीवविज्ञानी सौरव वर्मा को यह सांप कुछ अनोखा लगा। क्योंकि इस सांप की नाक सामान्य से ज्यादा लंबी थी. और उसकी नसें काफी पतली थीं. इसलिए इस सांप की प्रजाति का पता लगाने के लिए सांप के नमूने लिए गए। और फिर उसके डीएनए का परीक्षण किया गया. जिसमें यह बिल्कुल नई प्रजाति का सांप निकला। जिसके बाद जीवविज्ञानियों ने इसका नाम अहेतुल्ला लोंगी रोस्ट्रेस रखा।
यह शो जनरल ऑफ एशिया पैसिफिक बायोडायवर्सिटी में भी प्रकाशित हुआ है। जिसके बाद इस सांप की खूब चर्चा हो रही है.
लॉन्ग स्टोन्ड वाइन स्नेक की इस नई प्रजाति की खोज बिहार और भारत के वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के लिए खुशी की बात है। क्योंकि सांप की इस प्रजाति की अभी तक दुनिया में कहीं भी पहचान नहीं हो पाई है.
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) Share
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