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पृथ्वी पर आने के बाद अंतरिक्ष यात्री को Stretcher पर क्यों ले जाते है?

 स्पेस एकस के अंतरिक्ष यान ड्रैगन से भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बूच विलमोर की पृथ्वी पर वापसी हो चुकी है। नासा के दोनों अंतरिक्ष यात्री भारतीय समय के अनुसार यानी कि इस हिसाब से बुधवार तड़के 3:27 पर धरती पर उतरे। दोनों 9 महीने से ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद धरती पर लौटे हैं। अब कैप्सूल खुलने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को स्ट्रेचर पर ले जाया गया हालांकि वे बीमार या फिर घायल नहीं है। अब इसके बावजूद दोनों को कैप्सूल से निकालकर स्ट्रेचर के जरिए लाया गया। 

पृथ्वी पर आने के बाद अंतरिक्ष यात्री को Stretcher पर क्यों ले जाते है?

कैप्सूल खुलने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को स्ट्रेचर पर क्यों ले जाया गया?

लाइव साइंट के मुताबिक एस्ट्रोनॉट को धरती पर लौटने के बाद स्टेचर पर ले जाने की प्रक्रिया सुनीता विलियम्स और विलमोर के आईएसएस यानी कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन मिशन से जुड़ी नहीं है। यह एक प्रोटोकॉल है जिसका सभी अंतरिक्ष यात्रियों को पालन करना होता है। इसकी वजह यह है कि अंतरिक्ष से लौटने के बाद एस्ट्रोनॉट तुरंत चल नहीं पाते हैं। अंतरिक्ष में शरीर में अस्थाई बदलाव होते हैं। अब ऐसे में वापसी पर नासा इन बदलावों को लेकर सख्त सुरक्षा प्रक्रिया अपनाता है। अब इसी के तहत स्ट्रेचर का इस्तेमाल होता है।

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वहीं आपको बता दें अंतरिक्ष से लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को स्ट्रेचर पर क्यों ले जाने के कई कारण हैं। 

दरअसल अंतरिक्ष में रहने के दौरान उनके शरीर में कुछ बदलाव आते हैं। अब उन बदलावों के कारण उन्हें धरती पर वापस आने पर चलने में परेशानी होती है। वहीं टेक्सास में राइस यूनिवर्सिटी के अप्लाइड स्पोर्ट साइंस के डायरेक्टर जॉन डेविड ने बताया कि कई अंतरिक्ष यात्री स्टेचर पर बाहर नहीं आना चाहते लेकिन उन्हें बताया जाता है कि यह जरूरी है। वहीं डेविड के मुताबिक अंतरिक्ष में रहने के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस मोशन सिकनेस हो सकती है जिस तरह रोलर कोस्टर या फिर लहरों में नाव की सवारी करते समय मोशन सिकनेस होती है। उसी तरह अंतरिक्ष यात्रियों को भी धरती पर लौटने पर चक्कर या फिर उल्टी जैसा महसूस हो सकता है। अब इसी वजह से अंतरिक्ष यात्रियों को लैंडिंग के बाद स्ट्रेचर पर ले जाया जाता है। यह एक सावधानी है। 

वहीं डेविड ने आगे बताया कि हमारे आंतरिक कान में एक संवेदी वेस्ट बुलर सिस्टम होता है यह संतुलन बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है। व अंतरिक्ष में यह सिस्टम कुछ संवेदी इनपुट को अनदेखा करने का आदि हो जाता है। अब ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दिमाग भार हीनता के अनुसार ढल जाता है। इसलिए जब अंतरिक्ष यात्री धरती पर लौटते हैं और ग्रेविटी फिर से शुरू होता है तो वह फिर से तालमेल बिठाना शुरू करते हैं अब इससे अस्थाई रूप से स्पेस मोशन सिकनेस हो सकती है। 

दोस्तों यही वजह है कि अंतरिक्ष से लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को स्टेचर पर ले जाया जाता है। 


(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)

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