गुंदा, जिसे हिंदी में लसोड़ा और अंग्रेजी में Indian Cherry कहा जाता है, एक आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर फल है। यह फल विशेष रूप से गर्मी के मौसम में पाया जाता है और भारत के कई हिस्सों में इसका सेवन औषधीय दृष्टिकोण से किया जाता है। इसकी प्रकृति शीतल होती है और यह शरीर को ताकत, ऊर्जा, और रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
गुंदा (लसोड़ा) में पाए जाने वाले पोषक तत्व
गुंदा छोटे आकार का हरा फल होता है, जिसमें अनेक स्वास्थ्यवर्धक तत्व पाए जाते हैं:
- कैल्शियम
- फास्फोरस
- विटामिन-C
- एंटीऑक्सीडेंट्स
- फाइबर
- कार्बोहाइड्रेट्स
यह सभी तत्व मिलकर इसे एक सुपरफूड बनाते हैं।
गुंदा खाने के स्वास्थ्य लाभ
1. शरीर को ताकत और ऊर्जा देता है
गुंदा में मौजूद पोषक तत्व शरीर की कमजोरी को दूर करते हैं और उसे ताकतवर बनाते हैं। इसमें कैल्शियम और फास्फोरस हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और रक्त संचार को बेहतर करते हैं।
2. पाचन तंत्र को मजबूत करता है
गुंदा में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है जो पेट के पाचन को सुधारने में सहायक होता है। यह कब्ज, दस्त और गैस जैसी समस्याओं को ठीक करता है। गुंदा का काढ़ा पीने से पतले दस्त और कफ की समस्या दूर होती है।
3. गले की समस्याओं में फायदेमंद
गुंदा की छाल और पत्तों का काढ़ा गले की खराश, बैठी हुई आवाज और अस्थमा जैसी स्थितियों में लाभ देता है। इसके पत्तों को पीसकर पुल्टिस बनाकर लगाने से गले में सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
4. त्वचा रोगों में लाभदायक
गुंदा फोड़े-फुंसी, त्वचा पर एलर्जी और छोटे कीड़ों के काटने से होने वाले प्रदाह को ठीक करता है। इसकी छाल का लेप करने से मधुमक्खी और कीड़ों के डंक से राहत मिलती है।
5. बुखार और संक्रमण से राहत
गुंदा की छाल का काढ़ा सुबह-शाम लेने से बार-बार होने वाला बुखार, वायरल संक्रमण, और शरीर की थकावट में लाभ होता है।
6. डायबिटीज में लाभकारी
गुंदा के पत्तों का रस पीने से मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों को काफी लाभ होता है। यह शरीर में ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करता है।
7. सांस संबंधी बीमारियों में राहत
गुंदा का काढ़ा अस्थमा, काली खांसी, और सीने के दर्द को दूर करने में कारगर है। यह श्वास नलिका की सूजन को कम करता है।
गुंदा का घरेलू प्रयोग और औषधीय उपयोग
● गुंदा के बीजों का प्रयोग
गुंदा के बीजों को पीसकर गले की खराश पर लगाने से जल्दी राहत मिलती है।
● गुंदा के लड्डू
गुंदा को सुखाकर उसका चूर्ण बनाया जाता है। इस चूर्ण में आटा, बेसन और घी मिलाकर लड्डू तैयार किए जाते हैं। यह लड्डू शरीर को ताकत और स्फूर्ति देते हैं।
● गुंदा की छाल का लेप
गुंदा की छाल को पीसकर पानी में मिलाकर सूजन वाले अंगों पर लगाने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है। इसमें कपूर मिलाने से इसका असर और तेज हो जाता है।
● छाल का काढ़ा
गुंदा की छाल का काढ़ा बनाकर उसे छाछ के साथ पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और पेचिश जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
गुंदा के सेवन की विधियाँ
विधि | लाभ |
---|---|
काढ़ा बनाकर | कफ, बुखार, दस्त |
रस निकालकर | मधुमेह, पेट दर्द |
पत्तों की पुल्टिस | फोड़े, गले की सूजन |
बीज का लेप | गले की खराश |
लड्डू के रूप में | ताकत, स्फूर्ति |
चूर्ण बनाकर | रोग प्रतिरोधक शक्ति |
गुंदा सेवन में सावधानियाँ
- गर्भवती महिलाएं या गंभीर रोगी सेवन से पहले चिकित्सक की सलाह लें।
- बहुत अधिक मात्रा में सेवन से दस्त या अपच हो सकता है।
- इसे ताजे रूप में ही उपयोग करें, बासी न लें।
गुंदा का आयुर्वेद में महत्व
आयुर्वेद में गुंदा को त्रिदोष नाशक माना गया है। यह वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है। आयुर्वेदाचार्य इसे शीतल, बलवर्धक, और दीपक मानते हैं।
निष्कर्ष: गुंदा एक वरदान है आयुर्वेद का
गुंदा सिर्फ एक फल नहीं, बल्कि प्राकृतिक औषधि है जो शरीर को भीतर से ताकतवर बनाता है। आज जब लोग बाजारू सप्लीमेंट्स की ओर भाग रहे हैं, ऐसे में गुंदा जैसे फल एक स्वाभाविक समाधान हैं। इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करें और स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)
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