20वीं सदी के अंत में जब भारत में धार्मिक आस्थाओं, परंपराओं और आध्यात्मिक आंदोलनों की बाढ़ आई थी, तब एक नाम पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गया — ओशो रजनीश। एक ऐसा गुरु, जिसने ध्यान को बाजार तक पहुँचाया, सेक्स को साधना कहा, और पारंपरिक धार्मिक ढाँचों को तोड़ दिया। पर ओशो की इस वैश्विक क्रांति में एक रहस्यमयी, तेज़ और खतरनाक सेनापति उभरी — मा आनंद शीला
मा आनंद शीला का जीवन ओशो के सबसे विवादास्पद अध्यायों में से एक है। एक महिला जो पूरी दुनिया में ओशो के साम्राज्य की निर्माता बनी, और फिर उसी साम्राज्य के पतन की बड़ी वजह भी।
मा आनंद शीला कौन थीं?
- असली नाम: शीला अंबलाल पटेल
- जन्म: 28 दिसंबर 1949, वडोदरा (गुजरात), भारत
- शिक्षा: अमेरिका के मोंटक्लेयर स्टेट कॉलेज से पढ़ाई
- ओशो से मुलाकात: 1972 में भारत लौटने के बाद
- ओशो द्वारा दिया गया नाम: "मा आनंद शीला"
शीला एक तेज़-तर्रार, महत्वाकांक्षी और ओशो की नज़र में समर्पित अनुयायी थीं। उन्हें ओशो की व्यक्तिगत सचिव नियुक्त किया गया और जल्द ही उन्होंने उनके साम्राज्य की बागडोर संभाल ली।
अमेरिका की यात्रा और रजनीशपुरम की स्थापना
1981 में ओशो भारत छोड़कर अमेरिका चले गए। भारत में उनके खिलाफ कई विवाद, कानूनी मामले और सामाजिक दबाव थे। अमेरिका में एक आध्यात्मिक केंद्र स्थापित करने के इरादे से उन्होंने ओरेगन राज्य में 64,000 एकड़ ज़मीन खरीदी।
यहाँ बना "रजनीशपुरम" — एक स्वतंत्र शहर जिसमें हज़ारों अनुयायी रहते थे, अपनी पुलिस, स्कूल, अस्पताल और एयरपोर्ट तक मौजूद था।
- इस शहर की प्रमुख योजनाकार और प्रशासक बनीं मा आनंद शीला।
- उन्होंने अमेरिका में ओशो के आंदोलन को व्यावसायिक और राजनीतिक रूप दिया।
रजनीशपुरम: एक प्रयोगशाला या खतरे की घंटी?
रजनीशपुरम न सिर्फ अमेरिका के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया था। यहाँ अनुशासन, ध्यान और 'ओशो-जीवनशैली' को लागू किया गया।
लेकिन धीरे-धीरे विवाद बढ़ने लगे:
- स्थानीय नागरिकों को इस बस्ती से खतरा महसूस होने लगा।
- शीला के नेतृत्व में अनुयायियों ने हथियार जमा करने शुरू किए।
- मीडिया को दूर रखने के लिए हिंसक तरीकों का प्रयोग किया गया।
सबसे बड़ा जैविक आतंकवादी हमला (Bioterror Attack)
1984 में शीला और उनके करीबियों ने अमेरिका के इतिहास में पहला बायोटेरर अटैक किया।
- उद्देश्य: स्थानीय चुनावों को प्रभावित करना
- तरीका: डैलस, ओरेगन के सलाद बार में सैल्मोनेला बैक्टीरिया मिलाया गया
- परिणाम: 750 से ज्यादा लोग बीमार हो गए
यह घटना अमेरिका के सुरक्षा तंत्र के लिए एक चेतावनी थी, और रजनीशपुरम को अब सिर्फ एक आध्यात्मिक केंद्र नहीं, बल्कि संभावित आतंकवादी ठिकाना माना जाने लगा।
शीला की शक्ति और उसका दुरुपयोग
मा आनंद शीला को ओशो ने पूरा अधिकार दिया था। लेकिन समय के साथ यह अधिकार एक तानाशाही में बदल गया।
- अनुयायियों की जासूसी
- विरोधियों को धमकाना
- ओशो के खिलाफ साजिश रचने वालों की हत्या की कोशिश
- ओशो की दवाइयों और चिकित्सा में हस्तक्षेप
शीला का साम्राज्य अब सिर्फ अध्यात्मिक नहीं था, वह राजनीति, अपराध और नियंत्रण की मिसाल बन गया था।
ओशो का हस्तक्षेप: जब गुरु ने शिष्या को त्यागा
1985 में ओशो ने पहली बार शीला के खिलाफ सार्वजनिक बयान दिए:
"मैंने उसे पूरा विश्वास दिया, लेकिन उसने मुझे धोखा दिया।"
- ओशो ने शीला पर हत्या की साजिश, धन की हेराफेरी और अनुयायियों को नुकसान पहुँचाने के आरोप लगाए।
- शीला कुछ अनुयायियों के साथ जर्मनी भाग गईं।
गिरफ़्तारी, जेल और रिहाई
- शीला को जर्मनी में गिरफ्तार किया गया और अमेरिका लाया गया।
- 1986 में उन्हें 20 साल की सजा सुनाई गई, लेकिन सिर्फ 39 महीने में रिहा कर दिया गया।
- जेल में भी उन्होंने किसी पछतावे के संकेत नहीं दिए।
ओशो की मृत्यु: साजिश या स्वाभाविक?
1990 में ओशो का निधन हुआ। उनके अनुयायियों का कहना था कि उन्हें अमेरिका में जेल के दौरान धीमा ज़हर दिया गया था।
- ओशो के शब्द: “They poisoned me.”
- शक की सुई शीला और अमेरिकी सरकार दोनों पर गई
- लेकिन आज तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला
Wild Wild Country: जब दुनिया ने फिर देखा शीला को
2018 में Netflix पर आई डॉक्यूमेंट्री Wild Wild Country ने ओशो और शीला की कहानी को फिर से दुनिया के सामने रखा।
- डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया कि कैसे एक आध्यात्मिक आंदोलन सत्ता, साज़िश और आतंक में बदल गया।
- शीला को फिर से चर्चा में लाया गया, और उन्होंने इसका फायदा भी उठाया।
शीला का आज का जीवन
- स्विट्ज़रलैंड में एक वृद्धाश्रम चलाती हैं
- कई इंटरव्यूज़ और किताबों में अपनी भूमिका को सही ठहराती हैं
- भारत और अमेरिका में आज भी उनके खिलाफ गुस्सा और जिज्ञासा दोनों है
ओशो की मौत कैसे हुई ?
ओशो की मौत 19 जनवरी 1990 को पुणे के उनके आश्रम में हुई थी। आधिकारिक रूप से उनकी मृत्यु का कारण हृदय गति रुकना (Cardiac Arrest) बताया गया, लेकिन उनके कई अनुयायियों और विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक रहस्यमयी मौत थी और इसमें ज़हर दिए जाने की आशंका है।ओशो की मौत: शक की वजहें
1. धीमे जहर का दावा (Slow Poison Theory)ओशो ने खुद अमेरिका से लौटने के बाद कई बार कहा था कि उन्हें जेल में धीमा ज़हर दिया गया।
“They poisoned me in American jails. My body is deteriorating.”
2. पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ
- उनकी मौत के सिर्फ कुछ घंटों में शव का दाह संस्कार कर दिया गया
- ना कोई मेडिकल रिपोर्ट सार्वजनिक हुई
- ना ही किसी तरह की जांच हुई
- ओशो की सचिव शीला पर कई गंभीर आरोप लगे थे
- ओशो ने शीला पर उन्हें ड्रग देने, अनुयायियों को कंट्रोल करने और गुप्त साजिश रचने का आरोप लगाया था
- शीला अमेरिका में जेल भी गई
निष्कर्ष: शक्ति, भक्ति और पतन की कहानी
ओशो और मा आनंद शीला की कहानी सिर्फ एक आध्यात्मिक गुरु और उनकी अनुयायी की कहानी नहीं है। यह कहानी है:
- भक्ति के अंधेरे पक्ष की
- शक्ति के नशे की
- और एक आंदोलन के विनाश की
ओशो आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं, लेकिन शीला का नाम आते ही उनके जीवन का सबसे काला अध्याय सामने आता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. मा आनंद शीला कौन थीं?
A1. ओशो की निजी सचिव और रजनीश आंदोलन की सबसे शक्तिशाली नेता।
Q2. रजनीशपुरम क्या था?
A2. ओरेगन, अमेरिका में ओशो अनुयायियों द्वारा बसाया गया एक शहर, जिसमें हजारों
लोग रहते थे।
Q3. बायोटेरर अटैक क्यों और कैसे हुआ?
A3. स्थानीय चुनावों में प्रभाव डालने के लिए शीला और उसकी टीम ने सलाद में
सैल्मोनेला डाला जिससे 750 लोग बीमार हो गए।
Q4. क्या ओशो की मौत में शीला का हाथ था?
A4. कुछ अनुयायी ऐसा मानते हैं, लेकिन इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
Q5. शीला अब कहाँ हैं?
A5. वे अब स्विट्ज़रलैंड में रहती हैं और वृद्धाश्रम चलाती हैं।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)
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