2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर है। चुनाव आयोग की ओर से भी फेक न्यूज़ पर लगाम लगाई जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जाए कि वोटर किसी भी तरह से भ्रमित ना हो। लेकिन एक चुनौती जो चुनाव आयोग के सामने आती ही आती है वह है फर्जी वोटों की। इन्हीं चीजों से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने चैलेंज वोट और टेंडर वोट का प्रावधान भी रखा हुआ है।
अब क्या है यह चैलेंज वोट और टेंडर वोट और आप इसे वोटर के तौर पर कैसे इस्तेमाल कर सकते सते हैं ये सब बताएंगे हम आपको।
चैलेंज वोट क्या होता है ?
जब भी वोटिंग होती है तो मतदान केंद्र पर चैलेंज वोट का भी प्रावधान होता है। यह चैलेंज वोट करने के लिए नहीं बल्कि किसी को वोट देने से रोकने के लिए किया जाता है। दरअसल होता यूं है कि वोटिंग के समय पोलिंग स्टेशन में मतदान केंद्र में पीठा सेन अधिकारी जिन्हें प्रोसाइट ऑफिसर्स कहा जाता है जिनके ऊपर पोलिंग स्टेशन की जिम्मेदारी होती है। इन्हीं अधिकारियों के साथ चुनावी एजेंट्स भी पोलिंग स्टेशन में बैठते हैं। यह एजेंट्स वोटर को पहचानने का काम करते हैं और इन्हें पार्टियां या उम्मीदवार अपनी ओर से मतदान केंद्र में बिठाते हैं और यही चुनावी एजेंट इस चैलेंज वोट का इस्तेमाल भी करते हैं। इस चैलेंज वोट के लिए उन्हें एक फीस भी देनी होती है लेकिन इसका इस्तेमाल वोह कब करते हैं। यह भी आपको बता देते हैं दरअसल जब कोई वोटर वोट देने वोटिंग केंद्र पर जाता है और उसी समय पोलिंग स्टेशन पर बैठे चुनावी एजेंट को अगर यह शक होता है कि यह गलत वोटर है और यह फर्जी वोट दे रहा है तो ऐसे में वह चैलेंज वोट का इस्तेमाल करते हैं। यह एजेंट अधिकारी के सामने चैलेंज वोट करता है और साथ में दो रूपीस की फ़ीस भी देता है। कुल मिलाकर वो अधिकारी को चेलेंज करता है की ये वोटर गलत है जिसकी जाँच की जाए। इसके बाद अधिकारी सभी कागजात के साथ इसकी जाँच करता है और जाँच करने के बाद वोटर को वोट करने का अधिकार मिलना है नहीं वो तय किया जाता है। अगर चुनावी एजेंट सही होता है तो वोटर को वही रोक दिया जाता है यानि वोटर यदि फ़र्ज़ी है तो तुरंत ही उसको पुलिस को सौंप दिया जाता है।
टेंडर वोट क्या है?
दरअसल जो लोग यह शिकायत करते हैं कि उनका वोट पहले से ही डल चुका है उन लोगों के लिए चुनाव आयोग की ओर से टेंडर वोट का प्रावधान किया गया है। जैसे मान लीजिए आप वोट देने किसी मतदान केंद्र पर जाते हैं और आपको पता चलता है कि आपका वोट पहले से ही कोई और डाल चुका है। ऐसे में आप इसकी शिकायत प्रोसाइट ऑफिसर यानी पीठासीन अधिकारी से कर सकते हैं और अपनी पहचान की वेरिफिकेशन भी करवा सकते हैं। और यह बता सकते हैं कि आप असली वोटर हैं और किसी ने आपके नाम से गलत वोट दे दिया है। इसके बाद आप पोलिंग स्टेशन में मौजूद अधिकारी से टेंडर वोट की मांग कर सकते हैं। टेंडर वोट इसी स्थिति में ही जारी किया जाता है लेकिन इससे आप ईवीएम से तो वोट नहीं दे पाएंगे और आपको बैलेट के जरिए अपना वोट देना पड़ेगा। आप इस टेंडर वोट के जरिए पुराने वोट को चैलेंज कर सकते हैं और नया वोट डाल सकते हैं। चुनाव आयोग के नियमों के सेक्शन 42 के अनुसार टेंडर वोट की व्यवस्था की गई है। जिसके लिए पीठासीन अधिकारियों को पहले से खास दिशा निर्देश दिए जाते हैं। साथ ही उनकी वोटिंग के वक्त मिलने वाले किट में भी उन्हें टेंडर वोट्स दिए जाते हैं और चुनाव अधिकारियों को वोटिंग खत्म होने के बाद भी इसका ब्यौरा आयोग को देना होता है।
प्रॉक्सी वोट क्या होता?
इसके बाद आपको प्रॉक्सी वोट के बारे में भी बता देते हैं कि प्रॉक्सी वोट क्या होता है? यदि आप सर्विस मतदाता यानी सेना और अर्धसैनिक बल में तैनात हैं और अपने चुनाव क्षेत्र से बाहर हैं तो परिवार के किसी सदस्य को आप अपने बदले वोट डालने के लिए लिखित में नामित कर सकते हैं। पीठासीन अधिकारी यानी प्रोसाइट ऑफिसर लिखित रूप में उसकी जांच के बाद नामित व्यक्ति को वोट डालने देगा। ऐसे मतदाता की दो उंगलियों में अमित स्याही लगाई जाती है। प्रॉक्सी वोट के लिए मध्य उंगली में जबकि उसके खुद के वोट के लिए तर्जनी उंगली में अमिट स्याही लगाई जाती है। हालांकि सर्विस मतदाता को पोस्टल बैलेट का भी अधिकार होता है और वो उसके जरिए भी वोट दे सकते हैं। यह बताया हमने आपको टेंडर वोट चैलेंज वोट और प्रॉक्सी वोट बारे में।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)
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