देश में चुनाव का मौसम है नेताओं की लगातार रैली और रोड शो के बीच लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग हो चुकी है। 26 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग होनी है। प्रचार के दौरान हेलीकॉप्टर से लेकर चार्टर्ड विमान तक का इस्तेमाल किया जा रहा है। अपनी-अपनी पार्टियों के उम्मीदवारों के पक्ष में समर्थन मांगने के लिए अदूत यात्राएं हो रही हैं।
आखिर इन सब में जो पैसा खर्च होता है वह कहां से आता है? उम्मीदवार खुद पैसा खर्च करता है या पार्टी करती है ?
चुनाव में अंधाधुंध खर्चे का हिसाब
चलिए जानते हैं चुनाव में अंधाधुंध खर्चे का हिसाब। आपने देखा होगा कि चुनाव प्रचार से पहले सभी राजनीतिक दल अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी करते हैं। हालांकि स्टार प्रचारक की कोई परिभाषा नहीं है। पार्टियां अपने उन नेताओं को आमतौर पर स्टार प्रचारक बनाती हैं जिनकी लोकप्रियता ज्यादा होती है। कोई जरूरी नहीं है कि स्टार प्रचारक किसी सीट के प्रत्याशी ही हो। स्टार प्रचारक का काम होता है अपने दल के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना।
स्टार प्रचारकों की यात्राओं पर होने वाला खर्च कौन करता है?
इन स्टार प्रचारकों की यात्राओं पर होने वाला खर्च कौन करता है? हर बार पार्टियों को चुनाव की घोषणा के बाद अपने स्टार प्रचारकों की सूची चुनाव आयोग को देनी होती है। इसके लिए आयोग की ओर से समय सीमा तय की जाती है। चुनाव आयोग ने स्टार प्रचारकों पर होने वाले खर्च को लेकर नियम तय किए हैं। इसके अनुसार प्रचार के लिए स्टार प्रचारक पर आने वाले कुल खर्च का 50 फीदी हिस्सा उस उम्मीदवार के चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा। जिसके क्षेत्र में वह प्रचार कर रहा है। यानी किसी उम्मीदवार के क्षेत्र में स्टार प्रचारक के प्रचार के दौरान इस्तेमाल होने वाला वाहन एयरक्राफ्ट या हेलीकॉप्टर फूल मालाओं से लेकर झंडे बैनर तक के खर्चे का आधा प्रत्याशी के खर्चे में जोड़ा जाएगा और आधा खर्च पार्टी के खाते में जुड़ेगा।
किसी उमेदवार के चुनाव क्षेत्रमें स्टार प्रचारक को कैसे शामिल किया जाता है?
किसी रैली रोड शो या सभा में एक से ज्यादा उम्मीदवार शामिल होते हैं तो खर्च की राशी समान रूप से सभी उम्मीदवारों के खर्च में जोड़ी जाएगी। अगर स्टार प्रचारक सबका नाम लेता है उसके साथ सबकी फोटो पोस्टर बैनर पर होती है तो सारा खर्च सबके बीच बराबर बांटकर उसके खाते में जोड़ दिया जाता है। हालांकि अगर स्टार प्रचारक अपने ही क्षेत्र में प्रचार करता है यानी उस क्षेत्र का उम्मीदवार वह है जहां प्रचार कर रहा हो तो पूरा खर्च उसी के खाते में जोड़ा जाएगा। चुनाव आयोग ने यह साफ किया है कि स्टार प्रचारक य संसदीय क्षेत्र में उम्मीदवार है और अपने क्षेत्र में प्रचार करता है तो उसकी यात्रा और दूसरा पूरा खर्च उसके खाते में ही जुड़ेगा। एक तरह से उसे उमीदवार ही माना जाएगा और अपने क्षेत्र में स्टार प्रचारक को मिलने वाली किसी भी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
निर्वाचिन आयोग ने भी कुछ नियम बनाये है !
इन सबके अलावा निर्वाचन आयोग ने भी यह तय किया है कि यदि स्टार प्रचारकों के साथ सुरक्षाकर्मी और मीडिया के लोग यात्रा करते हैं तो स्टार प्रचारक की यात्रा का पूरा खर्च संबंधित राजनीतिक दल के खाते में जोड़ा जाएगा। ऐसा तभी होगा जब स्टार प्रचारक संबंधित क्षेत्र में उम्मीदवार ना हो।
कानून में क्या प्राविधान है?
रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट 1951 के सेक्शन 77 एक में स्टार प्रचारकों से जुड़े दिशा निर्देश दिए गए हैं। इन निर्देशों को समय-समय पर चुनाव आयोग की ओर से जारी किया जाता है। इन्हीं गाइडलाइन में राजनीतिक दलों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपने किसी नेता को स्टार प्रचारक की सूची में शामिल कर सकते हैं और हटा भी सकते हैं। पारंपरिक तौर पर किसी उम्मीदवार के क्षेत्र में स्टार प्रचारक बुलाने की कोई सीमा तय नहीं है। मतलब किसी एक उम्मीदवार के लिए कई स्टार प्रचारक प्रचार करने जा सकते हैं।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) Share
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