रक्षाबंधन या राखी को हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व माना जाता है। भाई बहन के प्रेम का प्रतीक आत्मीयता और स्नेह के बंधन के रिश्ते को मजबूत बनाने का पर्व रक्षाबंधन सावन पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस पर्व का जितना इंतजार बहनों को रहता है उतना ही भाइयों को भी रहता है।
क्या है रक्षा बंधन की मान्यता ?
पौराणिक मान्यता है कि जो बहन इस दिन शुभ मुहूर्त पर अपने भाई को रक्ष सूत्र बांधती हैं उनके भाई पर कभी किसी प्रकार का संकट नहीं आता है और उनको जीवन में खूब तरक्की मिलती है।
क्या है रक्षाबंधन का इतिहास ?
रक्षाबंधन मनाने का पर्व देवी देवताओं के काल से चला आ रहा है। एक कथा के अनुसार जब भगवान इंद्र पर दानव हावी हो गए थे तब उनकी पत्नी इंद्रानी बहुत परेशान हो गई थी। इंद्रानी ने बृहस्पति के कहे अनुसार इंद्र की कलाई पर एक रेशम का धागा मंत्र की शक्ति से बान दिया। उस दिन सावन पूर्णिमा की ही तिथि थी। इसके बाद युद्ध में देवताओं की जीत हुई थी। यही वजह है कि महिलाएं हर साल भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनके विजयश्री होने की कामना करती है।
वहीं दूसरी कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। जब शिशुपाल के युद्ध के समय भगवान कृष्ण की तर्जनी उंगली कट गई थी तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया था। इसके बाद भगवान कृष्ण ने उनकी रक्षा का वचन दिया था। अपने वचन के अनुसार भगवान कृष्ण ने ही चीर हरण के दौरान द्रौपदी की रक्षा की थी। यह ना केवल भाई बहन के रिश्ते को मजबूती और नवीन ऊर्जा का संचार करता है बल्कि यह सामाजिक पारिवारिक प्रतिबद्धता और सभी को एक सूत्र में पिरोने का भी पर्व है।
रक्षाबंधन का शुभ महूरत
पंचांग के अनुसार इस साल सावन पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त 2024 को सुबह 3:04 पर शुरू होगी और उसी दिन रात में 11:55 पर समाप्त होगी। अपराहन का समय रक्षाबंधन के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है। जो कि हिंदू समय गणना के अनुसार दोपहर के बाद का समय होता है। अगर अपराहन का समय भद्राकाल आदि की वजह से उपयुक्त नहीं है तो प्रदोष काल का समय भी रक्षाबंधन के संस्कार के लिए सबसे बढ़िया माना जाता है।
रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है।
शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन का त्यौहार हमेशा भद्रा रहित समय में ही मनाना जाना चाहिए। क्योंकि भद्राकाल में मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। भद्राकाल में राखी ना बांधे इससे भाई के जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है। पौराणिक कथा के अनुसार रावण की बहन ने उसे भद्रा काल में ही राखी बांधी थी जिसके बाद उसी साल में रावण का अंत हो गया था।
कौन है भद्रा क्यों है यह विनाशकारी ?
भद्रा शनि की बहन है और सूर्य की पुत्री है। जब भद्रा का जन्म हुआ तब से वह समस्त संसार में यज्ञों में विघ्न बाधा पहुंचाने लगी। भद्रा को शांत करने के लिए ब्रह्मा जी ने कहा कि तुम पाताल स्वर्ग और पृथ्वी लोक पर वास करोगी। उस समय में जब कोई शुभ कार्य करेगा तो तुम उसमें विघ्न बाधा डालना। ब्रह्मदेव ने भद्रा को बल बालव आदि करणों के बाद निवास का स्थान दिया। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्रा का स्वभाव भी शनि की ही तरह होता है।
रक्षा बंधन का परम पुनित पावन पर्व 19 अगस्त सोमवार को मनाई जाएगी। रक्षाबंधन में भद्रा का विशेष महत्व है। सोमवार के दिन भद्रा 1 बज 25 मिनट तक रहेगा। अतः दिन में 1 बज 2 मिनट के बाद ही बंधन का विधान किया जाएगा। बहने अपने भाई के कलाई में रक्षा का विधान करके और भाई बहन को सम्मान पूर्वक उपहार देकर के इस रक्षा बंदन का परंपरा का निर्वाहन करेंगे।
(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)
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