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भगवान कृष्ण के जीवन के बारे में विशेष जानकारी | Special information about the life of Lord Krishna



श्री कृष्ण के बारे में जानकारी

भगवान कृष्ण के जीवन के बारे में विशेष जानकारी


नाम:- 

चन्द्रवंशप्रताप यदुकुल भूषण, पूर्णपुरुषोत्तम, द्वारिकाधीश महाराज श्री कृष्णचन्द्रजी वासुदेवजी यादव

 -:जन्मदिन:-

20/21 -07 ई 3226 ईसा पूर्व रविवार/सोमवार

 -:जन्मतिथि:-

वर्ष संवत 3285 स संवत 3150 श्रावण वद अष्टम (जिसे हम जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं)

-:नक्षत्र समय:-

रोहिणी नक्षत्र रात्रि 12 बजे

 -:राशि-लग्न:-

वृषभ लग्न और वृषभ राशि

 -:जन्म स्थान:-

राजा कंस की राजधानी मथुरा में तालुका, जिला- मथुरा (उत्तर प्रदेश)

-:वंश - गोत्र:-

चंद्र वंश यदुकु क्षेत्र - मधुपुर

-:युग मन्वन्तर:-

द्वापर युग सप्तम वैवस्वत मन्वन्तर

-:वर्ष:-

द्वापर युग का 863874 वर्ष 4 माह और 22वां दिन

-:माँ:-

देवकी [राजा कंस के चचेरे भाई देवराज की पुत्री, जिसे कंस अपनी बहन मानता था

-:पिता:-

वासुदेव [जिनका प्रिय नाम आनंद दुदुम्भी था]

-:पालक माता - पिता:-

जशोदा, देवी मुक्ति का अवतार, नंद, ग्वालों के राजा, वरुद्रोण का अवतार

-:बड़ा भाई:-

वसुदेव और रोहिणी के पुत्र शेष के अवतार - श्री बलरामजी

-:बहन:-

सुभद्रा

-:बुआ:-

कुंती, पांडवों की मां, वासुदेव की बहन

-:माँ:-

मथुरा के राजा कंस, कालनेमि राक्षस के अवतार

-:बच्चे:-

सांदीपनि ऋषि आश्रम के सहपाठी सुदामा

-:व्यक्तिगत मित्र:-

अर्जुन

-:प्रिय मित्र:-

द्रौपदी

:प्रिय प्रियतमा:-

राधा सच्ची भक्ति का प्रतीक हैं

 -:प्रिय पार्षद:-

सूर्य

-:प्रिय सारथी:-

दारुक

-:रथ का नाम:-

शैब्य, मेघपुष्य बलाहक, सुग्रीव नामक चार घोड़ों वाला नंदी घोष रथ।

-:रथ पर ध्वज:-

गरुड़ध्वज, चक्रध्वज, कपिध्वज

-:रथ रक्षक:-

भगवान नृसिंह

-:गुरु और गुरुकुल:-

सन्दीप का ऋषि गगाचार्य गुरुकुल अवन्ती नगर में था

-:प्रिय खेल:-

गेडी दादो, गिलिडंडा, मक्खन चोरी, मटुकडी फोडवी, रासलीला

-:पसंदीदा जगह:-

गोकुल, वृन्दावन, व्रज, द्वारका

-:प्रिय वृक्ष:-

कदम्ब, पिपला, पारिजात, भांडीरवाड

-:पसंदीदा शौक:-

बांसुरी बजाना, चराना

-:पसंदीदा डिश:-

तन्दुल, दूध दही छाछ

-:पसंदीदा जानवर:-

गायें, घोड़े

-:पसंदीदा गाना:-

श्रीमद्भगवदगीता, गोपियों के गीत, रास

-:प्रिय फल क्षत्रिय कर्म:-

अब करने में कोई पाप नहीं है, कर्म करो फल की आशा मत करो

-:पसंदीदा हथियार:-

सुदर्शन चक्र

-:प्रिय सभा मंडप:-

सुधर्मा

-:प्रिय पंख:-

मोर

-:प्रिय फूल:-

कमल और कंचनार

-:पसंदीदा मौसम:-

वर्षा ऋतु, श्रावण मास, हिंडोला समय

-:प्रिय पात्रानी:-

रुक्ष्मणी जी

-:प्रिय आसन:-

वरदमुद्रा, अभयमुद्रा, एक पैर पर दूसरे पैर को लपेटकर खड़ा होना

-:पहचान चिह्न:-

भृगु ऋषि ने श्रीवत्स के उस चिन्ह को छाती पर लात मारी

-:विजय चिह्न:-

पांचजन्य शंख ध्वनि

-:मूल रूप:-

श्री अर्जुन ने दिव्य चक्षु देकर गीता में विश्वव्यापी दर्शन कराया

-:हथियार:-

सुदर्शन चक्र, कौमुकि गदा, सारंगपाणिधनुष, विद्याधर तलवार, नंदक खड़ग

-:बाल कौशल:-

कालीनाग दमन, गोवर्धन उठाया, दिव्य रासलीला

-:पत्रानिस:-

रुक्ष्मणी, जाम्बवती, मित्रवृंदा, भद्रा, सत्यभामा, लक्ष्मणा, कालिंदी, नग्नजिति

-:12 गुप्त शक्तियाँ:-

कीर्ति, क्रांति, तृष्टि, पुष्टि, इला, ऊर्जा, माया, लक्ष्मी, विद्या, प्रीति, अविधा, सरस्वती

-:श्रीकृष्ण का अर्थ:-

सह्यनाम, काला, खींच, आकर्षण, संकुचन

-:दर्शन दिया गया:-

जशोदा, अर्जुन, राधा, अक्रूरजी नारद, शिवजी, हनुमान, जंबुवन।

-:विकास का चक्र:-

शिशुपाल, बाणासुर, शतधन्वा, इन्द्र, राहु

-:प्रिय जी":-

गोपी, गाय, चरवाहा, गाँव, गीता, गोठड़ी, गोरस, कण्ठ, गोमती, गुफा

-:प्रसिद्ध नाम:-

कानो, लालो, रणछोड़, द्वारकाधीश, शामलियो, योगेश्वर, मक्काचोर, जनार्दन

-:चार योग:-

गोकुल में भक्ति, मथुरा में शक्ति, कुरूक्षेत्र में ज्ञान, द्वारिका में कर्म योग

-:विशेषताएँ:-

जिंदगी में कभी नहीं रोया

-:किसने किसकी रक्षा की:-

  • द्रौपदी के घावों को ठीक किया, 
  • सुदामा की गरीबी को दूर किया, 
  • गजेंद्र की रक्षा की,
  • महाभारत युद्ध में पांडवों की रक्षा की, 
  • त्रिवका दासी के दोषों को दूर किया, 
  • कुब्जा को रूप दिया, 
  • नलकुबेर और मणिग्रीव को श्राप से मुक्त किया जो दो रुद्र थे। 
  • पेड़ों ने युद्ध के दौरान टिंटोडी के अंडों को बचाया।

-:मुख्य त्यौहार:-

जन्माष्टमी, 
रथयात्रा, 
भाई बीजा, 
गोवर्धन पूजा, 
तुलसी विवाह,
 गीता जयंती
भागवत सप्ताह, 
योगेश्वर दिवस, 
सभी पाटोत्सव, 
नंद महोत्सव, 
प्रत्येक माह की पूनम और हिंडोला

-: धर्म ग्रंथ एवं साहित्य:-

  • श्रीमद्भगवदगीता, 
  • महाभारत, 
  • श्रीमद्भागवत 108 पुराण, 
  • हरिवंश, 
  • गीत गोविंद, 
  • गोपी गीत, 
  • डोंगरेजी महाराज के भगवद जनकल्याण चरितग्रंथ और भी बहुत कुछ।

-:श्रीकृष्ण चरित्रों से सम्बंधित रूप:-

पागल बच्चा लड़का, मक्खन चोर लड़का, आदि

-:श्री कृष्ण भक्ति के विभिन्न संप्रदाय:-

श्री संप्रदाय, कबीर पंथ, मीराबाई, रामानंद, वैरागी, वैष्णव आदि।

-:सखा सखी भक्त जन:-

सुदामा, ऋषभ, कुंभनदास, अर्जुन, त्रिवक, चंद्रभागा, अंशू, सूरदास, परमानंद, द्रौपदी, श्यामा, तुलसीदास, विंध्यावली और विदुर।

करुक्षेत्र में श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच जो संवाद हुआ वह गीता ग्रंथ के नाम से एक दर्शन के रूप में पूरे विश्व में विख्यात हुआ।

*गीता महाग्रंथ

-:शास्त्रीय राग आधारित भक्ति:-

  • प्रातःकाल-भैरव विलास, देव गांधार, रामकली, पंचम सुह, हिंडोला राग
  • दोपहर - बिलावल, टोडी, सारंग, धनश्री, आशावरी,

-:आरती की विशिष्टता:-

  • सुबह 6 बजे मंगला
  • सुबह 8-15 बजे बाल पीड़िता
  • सुबह 9-30 बजे सजावट
  • सुबह 10 बजे पशु बलि
  • सुबह 11-30 बजे राजभोग
  • शाम 4 बजे उत्थान आरती
  • शाम 5-30 बजे सो जाएं
  • सायं 6-30 बजे शुभ भोग
  • शाम 7 बजे शयन आरती

-:पोशाक:-

सिर पर मोर पंखों के प्राकृतिक गुलदस्ते के साथ एक सुंदर पगड़ी (इस बार पगड़ी द्वारका चंदवसु है), कानों पर कुंडल।
वैज्यंती माला, हार, कलाइयों पर बाजूबंद, कलात्मक कंगन, एक हाथ में बांसुरी, दूसरे हाथ में कमल, कडे कंदोरो, शिंदी छड़ी, पायल, सामने कस्तूरीयुंकटा चंदन का तिलक, पीला पीतल, बाजूबंद।

-:किसने मारा?:-

पूतना, व्योमासुर, अरिष्टासुर, शिशुपाल भस्मासुर, अधासुर आदि।

-: जीवन में 8 अंकों का महत्व:-

  • देवकी की आठवीं संतान
  • भगवान विष्णु का आठवां अवतार
  • कुल 8 पटरानी
  • श्रवण वद का जन्म 8
  • अलग-अलग 8 सप्तक
  • कुल 8 सिद्धियों के दाता
  • श्रेष्ठ मंत्र श्रीकृष्ण शरणम मम एवं ૐ नमो भगवते वासुदेवाय

-:अवतार के 12 कारण:-

  1. धर्म की स्थापना, 
  2. कृषि,
  3.  कर्म, 
  4. पृथ्वी की उर्वरता, 
  5. प्राणियों का कल्याण, 
  6. यज्ञ कर्म, 
  7. योग का प्रचार, 
  8. सत्कर्म, 
  9. असुरों का नाश, 
  10. भक्ति का प्रचार, 
  11. ज्ञानियों की रक्षा, 
  12. त्याग की भावना।

-:11 बोध प्रेम:-

  • माँ का प्यार, 
  • पिता का प्यार, 
  • मित्र का प्यार,
  •  कर्म, 
  • ज्ञान, 
  • भक्ति, 
  • ग्रामीण, 
  • कर्तव्य, 
  • स्त्री, 
  • दक्षिणा, 
  • राज नीति, 
  • कूट नीति, 
  • योग - स्वास्थ्य
  •  साथ ही अन्याय का प्रतिकार, 
  • दुष्टों का विनाश

-:नंबर 11 का महत्व:-

  • अवतार लेने के 11 कारण, 
  • भगवद गीता का उपदेश मगशर वद 11, 
  • यादवों की जनसंख्या 56 करोड़ थी, 
  • अगियारस का श्रेष्ठ उपवास, 
  • 11वाँ अध्याय कि अर्जुन को एक महान दर्शन हुआ, 
  • उम्र 11 जब उन्होंने मथुरा छोड़ दिया।

-:मृत्यु के कारण:-

गांधारी का श्राप, दुर्वासा मुनि का श्राप, बाली की मृत्यु का कारण

-:त्याग का स्थान:-

सोमनाथ तीर्थ, प्रभास पाटन, जिला गिर-सोमनाथ (गुजरात) हिरण्य नदी, कपिला नदी, सरस्वती नदी के संगम पर, पीपला वृक्ष के नीचे भालका तीर्थ।

मृत्यु के बाद उनकी प्रतिभा

भगवत गीता महापुराण

मृत्यु के बाद उसका भाग

शालीग्राम

:मृत्यु का विवरण:-

महाभारत के युद्ध के दौरान 89 वर्ष 2 माह 7 दिन शुक्रवार
18-02-3102 ईसा पूर्व को मृत्यु के समय उनकी आयु 125 वर्ष 7 माह 7 दिन थी। शुक्रवार दोपहर से 2 घंटे 7 मिनट 30 सेकंड पहले।

(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) Share
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