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सरकार का बड़ा ऐलान! बग़ैर USB C TYPE वाले स्मार्टफोन भारत में नहीं बेचे जाएंगे



सरकार द्वारा लैपटॉप और स्मार्टफोन के लिए एक सामान्य यूएसबी टाइप सी चार्जिंग पोर्ट लागू किया गया है। आम मोबाइल चार्जर के लिए मार्च 2025 की डेडलाइन दी गई है। जबकि आम वियरेबल चार्जर के लिए समय सीमा 2026 है। ऐसे में स्मार्टफोन कंपनियां मार्च 2025 के बाद बिना यूएसबी टाइप-सी पोर्ट वाले स्मार्टफोन और लैपटॉप की बिक्री नहीं कर पाएंगी।

सरकार का बड़ा ऐलान! बग़ैर USB C TYPE वाले स्मार्टफोन भारत में नहीं बेचे जाएंगे


आज के दौर में मोबाइल हर किसी की जिंदगी का ऐसा हिस्सा बन गया है कि इसके बिना वह रह ही नहीं सकता। लेकिन लोग मुश्किल में पड़ जाते हैं क्योंकि मोबाइल के साथ आने वाले चार्जर की पिन अलग-अलग होती है। हालांकि अब लोगों का यह भ्रम दूर हो जाएगा। क्‍योंकि अब भारत सरकार ने हर मोबाइल के लिए एक ही चार्जर का इस्‍तेमाल करने का आदेश जारी किया है। सरकार ने मोबाइल फोन, लैपटॉप और पहनने योग्य उपकरणों के लिए सामान्य चार्जिंग पोर्ट की घोषणा की है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने यूएसबी टाइप-सी पोर्ट को गुणवत्ता मानक पोर्ट घोषित किया है।

इन मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सरकार ने मोबाइल, स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए दोनों तरफ दो तरह के सामान्य चार्जिंग पोर्ट यूएसबी टाइप-सी और पहनने योग्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए अन्य चार्जिंग पोर्ट की घोषणा की है। भारत सरकार ने मोबाइल चार्ज करने में इस्तेमाल होने वाले चार्जर में यह बड़ा बदलाव किया है।

पिछली बैठक में एक यूएसबी टाइप-सी पोर्ट को मंजूरी दी गई थी। सचिव रोहित कुमार सिंह के मुताबिक टाइप सी को बीआईएस ने स्टैंडर्ड चार्जर के तौर पर मंजूरी दे दी है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर द्वारा कॉमन चार्जर के लिए एक अध्ययन किया जा रहा है। रिपोर्ट सबमिट होने के बाद एक सामान्य पहनने योग्य चार्जर की पहचान की जाएगी।

सामान्य पहनने योग्य चार्जर के लिए 2026 की समय सीमा निर्धारित की गई है

सरकार के मुताबिक डिवाइस मैन्युफैक्चरर्स को कॉमन मोबाइल चार्जर के लिए मार्च 2025 की डेडलाइन दी गई है। जबकि आम वियरेबल चार्जर के लिए समय सीमा 2026 है। ऐसे में स्मार्टफोन कंपनियां मार्च 2025 के बाद बिना यूएसबी टाइप-सी पोर्ट वाले स्मार्टफोन और लैपटॉप की बिक्री नहीं कर पाएंगी। बता दें कि यूरोपीय संघ (ईयू) ने 28 दिसंबर 2024 की समय सीमा तय की है।

अलग से चार्जर की जरूरत नहीं होगी

नए नियमों के तहत, उपभोक्ताओं को हर बार एक नया डिवाइस खरीदने के लिए अलग चार्जर की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि वे छोटे और मध्यम आकार के पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की पूरी श्रृंखला के लिए एक ही चार्जर का उपयोग कर सकेंगे। उनके निर्माता के बावजूद, सभी नए मोबाइल फोन, टैबलेट, डिजिटल कैमरे, हेडफ़ोन और हेडसेट, हैंडहेल्ड वीडियो-गेम कंसोल और लैपटॉप जिन्हें वायर्ड केबल्स के माध्यम से रिचार्ज किया जा सकता है, 100 वाट तक की बिजली वितरण के साथ काम करते हैं। फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करने वाले सभी उपकरणों में अब एक सामान्य चार्जिंग गति होगी, जिससे उपयोगकर्ता किसी भी संगत चार्जर से समान गति से अपने उपकरणों को चार्ज कर सकेंगे।

इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट के चलते लिया फैसला

दरअसल, सरकार का मानना ​​है कि देश में इलेक्ट्रॉनिक कचरे की बड़ी मात्रा के लिए विभिन्न प्रकार के चार्जर जिम्मेदार हैं। साथ ही चार्जिंग के लिए अलग चार्जर होने से यूजर्स को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा चार्जर के नाम पर यूजर्स से ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं।

यूरोपीय संसद पहले ही कानून बना चुकी है

यूरोपीय संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें कहा गया है कि 2024 के अंत तक, iPhones और AirPods सहित सभी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स अपने मानक चार्जिंग पोर्ट के रूप में USB टाइप-सी का उपयोग करेंगे। 2026 से लैपटॉप के लिए भी यह नियम लाया जा सकता है।


(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें)

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