સમાચાર WhatsApp પર મેળવવા માટે જોડાવ Join Now

Whatsapp Group Join Now
Telegram Group Join Now
instagram Group Join Now

पारसी रतन टाटा का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों से क्यों किया जाता है? Why is Parsi Ratan Tata cremated with Hindu rites?



देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का अंतिम संस्कार आज शाम 4:00 बजे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उससे पहले सुबह 10 बजे उनका पार्थिव शरीर नरीमन प्लाइट के एनसीपीए लॉन में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीज कैंडी अस्पताल में बुधवार रात 11:30 बजे आखिरी सांस ली। 

मुंबई के ब्रीज कैंडी अस्पताल में रतन टाटा का इलाज चल रहा था जहां उन्हें सांस लेने में तकलीफ के चलते भर्ती करवाया गया था। रतन टाटा पारसी समुदाय से आते हैं और उनका अंतिम संस्कार पारसी रीति रिवाजों की जगह हिंदू परंपराओं के अनुसार किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को शाम 4:00 बजे मुंबई के वर्ली स्थित इलेक्ट्रिक अग्नि दह में रखा जाएगा। यहां करीब 45 मिनट तक प्रेयर होगी। जिसके बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। 
पारसी रतन टाटा का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों से क्यों किया जाता है?


अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पारसी समुदाय पारसी रतन टाटा का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों उसे क्यों किया जा रहा है?


आपको बता दें कि पारसी समुदाय में अंतिम संस्कार के नियम काफी अलग हैं। पारसियों में अंतिम संस्कार की परंपरा 3000 साल पुरानी है। हजारों साल पहले पर्शिया से भारत आए पारसी समुदाय में ना तो शव को जलाया जाता है और ना ही दफनाया जाता है। पारसी धर्म में निधन के बाद शव को पारंपरिक कब्रिस्तान जिसे टावर ऑफ साइलेंस या दखमा कहते हैं वहां खुले में गिद्धों को खाने के लिए छोड़ दिया जाता है। गिद्धों का शवों को खाना भी पारसी समुदाय के रीति रिवाजों का ही हिस्सा है। हालांकि रतन टाटा का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों से किया जाएगा। 

इससे पहले सितंबर 2022 में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन सायरस मिश्री का अंतिम संस्कार भी हिंदू रीति रिवाजों से किया गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना महामारी के समय शवो के अंतिम संस्कार के तरीकों में बदलाव हुई थी। उस दौरान पारसी समुदाय के अंतिम संस्कार के रीद रिवाजों पर रोक लगा दी गई थी। 

पारसी समुदाय के व्यक्ति के निधन के बाद शव को आबादी क्षेत्र से दूर बने दखमा यानी टावर ऑफ साइलेंस में ले जाया जाता है। कई जगह यह छोटी पहाड़ी भी हो सकती है। टावर ऑफ साइलेंस में शव को ऊंचाई पर खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। जिसके बाद आखिरी प्रार्थना की जाती है और प्रार्थना के बाद शरीर को चील और गिद जैसे पक्षियों के लिए छोड़ दिया जाता है। 

(ये आर्टिकल में सामान्य जानकारी आपको दी गई है अगर आपको किसी भी उपाय को apply करना है तो कृपया Expert की सलाह अवश्य लें) RRR
Whatsapp Group Join Now
Telegram Group Join Now
instagram Group Join Now
RRR

Post a Comment

Previous Post Next Post
Whatsapp ગ્રુપમાં જોડાવ